वर्तमान में संस्था में केवल दो ही विकलांग, जो कि आपस में सगी बहनें रह रही हैं। इन विकलांग बहनों को संस्था के पदाधिकारियों द्वारा न तो शिक्षा दी जा रही है, और न ही उनके खान-पान की कोई व्यवस्था की जा रही है। केवल रहने के लिए छत दे दी गई है।
इसके अलावा दोनों बहने अपना खाने-पीने और अन्य जरुरतों का खर्चा खुद की उठा रही है। संस्था के अध्यक्ष हीराराम हिरवानी द्वारा विकलांगों को पढ़ाने दो महिला शिक्षकों पद्मा ध्रुव और लीला आडिल की व्यवस्था जरूर की गई है, लेकिन आज तक इन शिक्षिकाओं द्वारा विकलांग बहनों को किसी प्रकार की शिक्षा नहीं दी गई है। इतना जरूर है कि दिन में किसी भी वक्त आकर ये शिक्षिकाएं दोनों बहनों से उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर जरूर करा लेती हैं। कुल मिलाकर कहें तो महामहिम राज्यपाल द्वारा प्रतिमाह दिए जा रहे 25 हजार रुपए की सहायता राशि विकलांगों की जगह कोई अन्य पचा रहा है।
शिक्षकों द्वारा कभी पढ़ाया नहीं गया
विकलांग चित्ररेखा साहू ने बताया कि शुरू में संस्था में 10 विकलांग रहते थे। उस वक्त अध्यक्ष द्वारा खाना-पीना दिया जाता था। लेकिन पिछले 8 साल से केवल रहने के लिए किराए का यह मकान उपलब्ध कराया गया है। इसका जिसका किराया व बिजली बिल उनके द्वारा पटाया जाता है। खाने-पीने की व्यवस्था करने के लिए कहने पर वे हाथ जोड़ते हुए कहते हैं, कि इससे अधिक मैं कोई और मदद नहीं कर सकता।
शिक्षिकाओं द्वारा कभी पढ़ाई नहीं कराई गई। केवल दिन में वक्त-बेवक्त आकर रजिस्टर में हस्ताक्षर लिया जाता है। हम दोनों विकलांग बहनें है। शिकायत करने कहीं जा नहीं सकती। इसलिए जैसा चल रहा है, वैसा चला रही हैं। इस संबंध में अध्यक्ष हीराराम हिरवानी से पूछे जाने पर उनका कहना है कि सरकार की ओर से कोई अनुदान संस्था को नहीं मिलता है। संस्था को जीवित रखने के लिए मैं अपनी ओर से खर्च कर संस्था चला रहा हूं। यहां तक कि दोनों शिक्षिकाओं को प्रतिमाह 10-10 हजार रुपए मेहनताना व मकान किराया और बिजली बिल भी मैं अपनी जेब से दे रहा हूं।
दान की जमीन पर अतिक्रमण
संस्था को उगेतरा के स्व. भागीरथी तारक नामक व्यक्ति द्वारा नगर के बगदेहीपारा वार्ड क्रमांक 19 में स्थित अपने हक की 30 डिसमिल भूमि खसरा नं. 265/2, 270, 272 रकबा 0.016, 0.063, 0.032 हेक्टेयर दान दी गई थी। लेकिन आज संस्था के पास केवल 5 डिसमिल जमीन की शेष बाकी है। बाकी की 25 डिसमिल जमीन पर लोगों द्वारा अतिक्रमण कर मकान निर्माण करा लिया गया है।
उक्त अतिक्रमण के विरुद्ध संस्था के लोगों द्वारा कभी आवाज नहीं उठाई गई। इससे मामला काफी संदिग्ध प्रतीत होता है। संस्था के उपाध्यक्ष रामबगस भारद्वाज से पूछे जाने पर वे इतना कहते हैं कि कई बार उन्होंने जमीन को मुक्त कराने उन्होंने अध्यक्ष हीराराम हिरवानी से कहा लेकिन वे मैं इस संबंध में कुछ नहीं कर सकता, तुम लोग कोशिश कर लो, कहते हुए हाथ पीछे खींच लेते हैं। लेकिन कल ही कलक्टर के पास जाकर हम लोग इस दिशा मेें प्रयास करेंगे।