scriptलापता माँ को मरा मानकर करा दिया था अंतिम क्रियाकर्म, आठ साल बाद सामने देख नम हुई आँखें | Missing 65 year old mom came home after 8 years of death | Patrika News

लापता माँ को मरा मानकर करा दिया था अंतिम क्रियाकर्म, आठ साल बाद सामने देख नम हुई आँखें

locationगरियाबंदPublished: Aug 21, 2021 03:03:52 pm

Submitted by:

CG Desk

सोशल मीडिया के जमाने में कुछ भी संभव है यह आज साबित हो गया। दो भाइयों को आठ साल बाद अपनी माँ वापस मिल गई। वाट्स एप के एक वीडियो में बिछड़ी माँ को देखने के बाद तुरंत भाइयों ने माँ को ओडिशा से छत्तीसगढ़ ले आये है ।

लापता माँ को मरा मानकर करा दिया था अंतिम क्रियाकर्म, आठ साल बाद सामने देख नम हुई आँखें

लापता माँ को मरा मानकर करा दिया था अंतिम क्रियाकर्म, आठ साल बाद सामने देख नम हुई आँखें

रायपुर। माँ को खो देना सबके लिए असहनीय है। एक व्यक्ति ने अपनी माँ का अंतिम क्रियाकर्म किया लेकिन अचानक 8 साल बाद सकुशल लौट आए तो परिजन कितने खुश होंगे। सुनने में थोड़ा अचरच है लेकिन यह सच है। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के निवासी बलभद्र नागेश और उसके परिवार के साथ ऐसा ही कुछ हुआ। आठ साल पहले गुमशुदा हुई मां को सामने देख उसकी आँखें नम हो गई। ख़ुशी का का अंदाजा बलभद्र के घर का नजारा देखकर लगाया जा सकता है।

क्या है पूरा मामला
गरियाबंद गोहेकेला निवासी बलभद्र नागेश की 65 वर्षीय मां 8 साल पहले 2013 में घर से अचानक लापता हो गई थी। उसके बाद घर वापस नहीं लौटीं। परिजनों ने मां मरुवा बाई को खोजने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। बलभद्र और उसके परिवार के लोगों को मां की चिंता सताती रहती थी। बलभद्र ने बताया कि मां मनोरोग से पीड़ित थीं, अक्सर घर से निकल जाने के बाद एक दो दिन में वापस आ जाया करती थीं, लेकिन 2013 में वह जब एक बार घर से निकलीं तो फिर वापस नहीं लौटीं। अब सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो बलभद्र के छोटे भाई के पास पहुंचा। वायरल वीडियो में मरुवा बाई की तस्वीर दिखाई दे रही थी। वीडियो ओडिशा के बलांगीर जिले से किसी ने फारवर्ड किया था। वीडियो देखकर बलभद्र के परिवार को एक बार फिर मां के मिलने की उम्मीद जगी।

रिश्तेदारों ने रखी अंतिम संस्कार कराने की शर्त
बड़े बेटे बलभद्र ने इस बारे में बताया कि पिछले साल उन्हें अपनी बेटी का बालिका व्रत विवाह (कोणाबेरा) कार्यक्रम सम्पन्न करना था। समाज के लोगों और रिश्तेदारों की मौजूदी में यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। जब उसने समाज के लोगों को इस कार्यक्रम में उपस्थित होने का आग्रह किया, तो लोगों ने उसकी मां के अंतिम क्रियाकर्म के बाद ही शामिल होने की शर्त रख दी। मजबूरीवश उसे अपनी मां का अंतिम क्रियाकर्म करना पड़ा, जिसका उसे और उसके परिवार को हमेशा अफसोस रहेगा।

कराते हैं प्रतीकात्मक विवाह
समाज में बालिका व्रत विवाह की परंपरा है, जिसे स्थानीय भाषा मे कोणाबेरा कहा जाता है। इसमें बेटी के किशोरावस्था में कदम रखने पर महुआ के पेड़ से प्रतीकात्मक शादी कराई जाती है, ताकि असल शादी के बाद बेटी का वैवाहिक जीवन मंगलमय हो। सगे संबंधियों और सामाजिक बंधुओं की मौजूदगी में ही यह कार्यक्रम सम्पन्न होता है।

ओडिशा में मिली मां
बलभद्र वीडियो देखने के बाद तत्काल ओडिशा के लिए रवाना हो गया। बलांगीर जिले में मां की खोजबीन की और दो दिन की मशक्कत के बाद आखिर मां मिल ही गई। अब मां मरुवा बाई सकुशल घर लौट आईं हैं। उनका कुशलक्षेम जानने के लिए ग्रामीणों और रिश्तेदारों के पहुंचने का तांता लगा हुआ है।

घर में फिलहाल मेले जैसा माहौल बना हुआ है और जमकर खुशियां मनाई जा रही है। बलभद्र और उसका परिवार मां के लौटने पर जितना खुश है उतना ही अंदर से दुखी भी है। दरअसल परिवार के सामने पिछले साल ऐसी विषम परिस्थिति आन खड़ी हुई कि परिवार को मां के जीवित रहते हुए ही अंतिम क्रियाकर्म करना पड़ा। इस बात का उन्हें आज भी मलाल है।

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