इलाज के लिए उड़ीसा राज्य पर निर्भर ग्रामीण
आलम यह है, कि यहां के लोगों को इलाज के लिए उड़ीसा राज्य पर निर्भर रहना पड़ता है। आजादी के 7 दशक बाद भी अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए यहां के लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है। अति संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण जनप्रतिनिधि सांसद और विधायक लंबे बरसों से नहीं पहुंच पाए हैं। इन सुदूर अंचलों के ग्रामीणों का सुध लेने वाला आज कोई भी नहीं है जिस वजह से इन सुदूर अंचलों के आदिवासी अपनी बदहाल भरी जीवन जीने को मजबूर हैं।
आलम यह है, कि यहां के लोगों को इलाज के लिए उड़ीसा राज्य पर निर्भर रहना पड़ता है। आजादी के 7 दशक बाद भी अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए यहां के लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है। अति संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण जनप्रतिनिधि सांसद और विधायक लंबे बरसों से नहीं पहुंच पाए हैं। इन सुदूर अंचलों के ग्रामीणों का सुध लेने वाला आज कोई भी नहीं है जिस वजह से इन सुदूर अंचलों के आदिवासी अपनी बदहाल भरी जीवन जीने को मजबूर हैं।
आदिवासियों के प्रति उदासीनता रवैया : युमेन्द्र
युवा संघर्ष मोर्चा गरियाबंद जिलाध्यक्ष युमेन्द्र कश्यप ने इस संबंध में कहा कि- यह उड़ीसा सीमा से लगे ग्रामीण अंचलों के लोगों के लिए दुर्भाग्यजनक है कि सांसद और विधायक इन सुदूर अंचलो के गांवों मे लोगों की सुध लेने नहीं आते। आदिवासी विकासखंड मैनपुर के छत्तीसगढ़-उड़ीसा सीमा से लगे अति संवेदनशील क्षेत्रों में शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का सफ ल क्रियान्वयन अधर में पड़े गोते खा रहा है। एक ओर सरकार गांवों में विकास के रोशनी पहुंचाने अनेक योजनाएं संचालित कर रही है और सरकार द्वारा गांव में विकास के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन हकीकत में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है या नहीं इसे देखने वाला कोई भी जिम्मेदार इस ओर झांकने तक नहीं आते हैं।
युवा संघर्ष मोर्चा गरियाबंद जिलाध्यक्ष युमेन्द्र कश्यप ने इस संबंध में कहा कि- यह उड़ीसा सीमा से लगे ग्रामीण अंचलों के लोगों के लिए दुर्भाग्यजनक है कि सांसद और विधायक इन सुदूर अंचलो के गांवों मे लोगों की सुध लेने नहीं आते। आदिवासी विकासखंड मैनपुर के छत्तीसगढ़-उड़ीसा सीमा से लगे अति संवेदनशील क्षेत्रों में शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का सफ ल क्रियान्वयन अधर में पड़े गोते खा रहा है। एक ओर सरकार गांवों में विकास के रोशनी पहुंचाने अनेक योजनाएं संचालित कर रही है और सरकार द्वारा गांव में विकास के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन हकीकत में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है या नहीं इसे देखने वाला कोई भी जिम्मेदार इस ओर झांकने तक नहीं आते हैं।