scriptउड़ीसा सीमा से लगे ग्रामों में नहीं पहुंचते विधायक और सांसद, ग्रामीण बदहाल जिंदगी जीने मजबूर | MLAs and MPs do not reach villages bordering Odisha | Patrika News

उड़ीसा सीमा से लगे ग्रामों में नहीं पहुंचते विधायक और सांसद, ग्रामीण बदहाल जिंदगी जीने मजबूर

locationगरियाबंदPublished: Jul 17, 2020 11:48:12 pm

Submitted by:

CG Desk

– सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली की होती है व्यवस्था

village (File photo)

village (File photo)

गरियाबंद . विकासखंड मैनपुर के अंतिम छोर में बसे ग्राम पंचायत भूतबेड़ा, कोचेंगा के आश्रित गांवों में आज तक बिजली नहीं लगने के कारण वैकल्पिक सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली की व्यवस्था किया गया है। जो इन दिनों बत्तर हो चली है। आंख मिचौली बिजली व्यवस्था से क्षेत्रवासी बरसों से जूझ रहे है। बरसात के दिनों में सौर ऊर्जा के माध्यम से 24 घंटा बिजली मिलना मुश्किल हो जाता है इसके चलते कारण क्षेत्रवासियों को लालटेन के सहारे रात गुजारनी पड़ती है। वहीं उड़ीसा सीमा के गांव भी लगा हुआ है जहां उन ग्रामों में बिजली चकाचक जलती नजर आती है। राज्य निर्माण के बाद पिछले 20 वर्षों में जितना विकास यहां होना चाहिए था नहीं हो पाया है। इसका मलाल यहां के ग्रामीणों के चेहरे पर साफ झलकती है। क्षेत्र के मुखिया मया राम नेताम, दलशू राम मरकाम, मोतीराम नेताम, दुर्जन राम मरकाम, जय राम नेताम, फू ल सिंह मरकाम, बुधराम नेताम ने अपने-अपने गांवो की समस्या बताते हुए कहा कि कई सरकारें बदली, कई विधायक, सांसद बदले लेकिन गांव की हालत नहीं बदली। आखिर प्रशासन हमारी सुध कब लेगा हमारे सांसद, विधायक कब यहां पहुंचकर हमारे समस्याओं को सुनेंगे। बिंद्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र के ग्राम भूतबेड़ा, मोतीपानी, भाठापानी, मौहानाला भद्रीपारा, गाजीमुड़ा गरीबा अंतिम छोर में बसने वाले गांव है और यहां स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, सड़क, पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए लोगों को तरसना पड़ रहा है।
इलाज के लिए उड़ीसा राज्य पर निर्भर ग्रामीण
आलम यह है, कि यहां के लोगों को इलाज के लिए उड़ीसा राज्य पर निर्भर रहना पड़ता है। आजादी के 7 दशक बाद भी अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए यहां के लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है। अति संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण जनप्रतिनिधि सांसद और विधायक लंबे बरसों से नहीं पहुंच पाए हैं। इन सुदूर अंचलों के ग्रामीणों का सुध लेने वाला आज कोई भी नहीं है जिस वजह से इन सुदूर अंचलों के आदिवासी अपनी बदहाल भरी जीवन जीने को मजबूर हैं।
आदिवासियों के प्रति उदासीनता रवैया : युमेन्द्र
युवा संघर्ष मोर्चा गरियाबंद जिलाध्यक्ष युमेन्द्र कश्यप ने इस संबंध में कहा कि- यह उड़ीसा सीमा से लगे ग्रामीण अंचलों के लोगों के लिए दुर्भाग्यजनक है कि सांसद और विधायक इन सुदूर अंचलो के गांवों मे लोगों की सुध लेने नहीं आते। आदिवासी विकासखंड मैनपुर के छत्तीसगढ़-उड़ीसा सीमा से लगे अति संवेदनशील क्षेत्रों में शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का सफ ल क्रियान्वयन अधर में पड़े गोते खा रहा है। एक ओर सरकार गांवों में विकास के रोशनी पहुंचाने अनेक योजनाएं संचालित कर रही है और सरकार द्वारा गांव में विकास के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन हकीकत में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ मिल पा रहा है या नहीं इसे देखने वाला कोई भी जिम्मेदार इस ओर झांकने तक नहीं आते हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो