दिव्य रूप देवी कात्यायनी चार भुजा धारी हैं। उनका शरीर सोने के समान चमकीला है और वे सिंह पर सवार है। देवी कात्यायनी के एक हाथ में तलवार और दूसरे में पुष्प कमल है। जबकि अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं। देवी कात्यायनी ने ही महिषासुर राक्षस का वध किया था।
साथ ‘ॐ ललिता देव्यै नमः के जप की ध्वनि से उत्पन्न होने वाले कंपन हृदय की बीमारियों से बचाव करते हैं।
उदर (पेट) :ॐ शूलधारिण्यै नमः’ के जप से पेट संबंधी बीमारियों से बचाव होता है।
रक्त : रूप, गंध, रक्त शब्द और स्पर्श रक्षा के लिए ‘ॐ पार्वत्यै नमः’ का जप करें। बुद्धि : स्वाभिमान, मन और बुद्धि रक्षा के लिए ‘ॐ धर्म धारिण्यै नमः का जप करने से प्रसन्नता एवं एकाग्रता बढ़ती है
यश-कीर्ति : धन, लक्ष्मी, विद्या, यश और कीर्ति की रक्षा के लिए ‘ॐ चक्रिण्यै नमः’ का जप करना चाहिए।
संतान : संतान रक्षा और प्राप्ति के लिए ॐ महालक्ष्म्यै नमः का जप करना उचित है।
दाम्पत्य : ॐ भैरव्यै नमः’ का जप करने से दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है
आयु : अधिक उम्र की कामना रखने वाले ‘ॐ वाराही नमः’ का जप करें।