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मानव सेवा का ऐसा जुनून कि दो तालाब खुदवाने खुद के जेब से खर्च किए 30 लाख

locationगरियाबंदPublished: Jun 06, 2019 04:41:31 pm

Submitted by:

Akanksha Agrawal

टेमरा के किसान जोगेंद्र प्रसाद बेहेरा ने खेती-किसानी से आने वाले जमा पैसे से दो तालाब खुदवा दिए। इतना ही नहीं इसके लिए वे चार दशक से भी ज्यादा समय तक पैसे जमा कर तालाब खुदाई के काम को धीरे-धीरे करवाते चले गए।

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मानव सेवा का ऐसा जुनून कि दो तालाब खुदवाने खुद के जेब से खर्च किए 30 लाख

देवभोग. कहते हैं कि मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है। इस कथन को पूरा कर दिखाया है टेमरा के किसान जोगेंद्र प्रसाद बेहेरा ने। बेहेरा ने खेती-किसानी से आने वाले जमा पैसे से दो तालाब खुदवा दिए। इतना ही नहीं इसके लिए वे चार दशक से भी ज्यादा समय तक पैसे जमा कर तालाब खुदाई के काम को धीरे-धीरे करवाते चले गए।

वहीं, आज दो तालाब टेमरा में उन्हीं की निजी जमीन में खुद कर तैयार भी हो चुका है। जोगेन्द्र प्रसाद की माने तो गर्मी के दिनों में आसपास के पांच गांव के लोगों के साथ ही मवेशी पानी की किल्लत से जूझते दिखते हैं। वहीं, पानी के लिए इस तरह जूझना ही बेहेरा को कचोड़ गया और उन्होंने सन् 1981 से शुरू की गई अपनी खुद की मुहिम को लगभग 38 साल बाद पूरा करके दिखा दिया।

पांच एकड़ में फैले हैं दोनों तालाब: जोगेन्द्र प्रसाद ने चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने अपनी निजी भूमि में बिना किसी सहयोग के पांच एकड़ में दो तालाब का निर्माण करवाया है। बेहेरा बताते हैं कि 1981 में 6 रूपए प्रति गोदी के हिसाब से वे खुदाई करवाया करते थे। शुरुआती दौर में आसपास के कुछ लोगों ने उन्हें ऐसा करने से मना भी किया, लेकिन वे अडिग रहे। उनका हौसला नहीं टूटा।

इसके बाद हर साल धान बेचे गए पैसे से तालाब के काम को धीरे-धीरे आगे बढ़ाते चले गए। जोगेन्द्र प्रसाद ने बताया कि हर साल उन्होंने 75 हजार रुपए का खर्च तालाब में किया। लगातार हर साल किसी भी परिस्थिति में जेसीबी लगाकर तालाब के काम को लगातार बढ़ाते चले गए। वहीं, 38 सालों के लगातार मेहनत और लगन और अपने निर्णय पर अटल रहने के चलते उनका तालाब का सपना पूरा हो गया। बेहेरा बताते हैं कि अब आसपास के लोगों को निस्तारी के लिए परेशानी नहीं होगी और साथ ही मवेशियों को भी पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

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