रामगुलाल सिन्हा और व्यासनारायण चतुर्वेदी अपने घर की छत पर ही सब्जी उगा रहे हैं रामगुलाल की छत तो किसी प्रयोगशाला से कम नहीं है
सेहत के लिए छत पर ही शुरू कर दी सब्जियों की खेती, अब हो रही इतनी कमाई
राजिम. घर की छत पर हरी सब्जी उगाना कोई फैशन नहीं है, बल्कि आज के बदलते समय की जरुरत बन गई है। खेती के घटते रकबे और बढ़ते शहरीकरण के चलते छत पर खेती करना बहुत जरुरी हो गया है आप भी अपने घर की छत पर रसायनयुक्त और पौष्टिकता से भरपूर सब्जियां उगा सकते हैं। ताजी हरी पौष्टिक और स्वादिष्ट सब्जी भला किसे अच्छा नहीं लगता।
लोग इसे मंहगे दामों पर भी खरीदना पंसद करते हैं। मगर यही सब्जी जब आपके घर पर मिल जाए वो भी कम दाम पर तो सोने पर सुहागा तो होगा ही। इसके लिए आपको कुछ करने की जरुरत नहीं बस आप अपनी छत पर अपनी मनपंसद सब्जी उगाना शुरु कर दीजिए। कम लागत में आप जैविक सब्जी तैयार कर सकते हैं।
राजिम निवासी रामगुलाल सिन्हा और व्यासनारायण चतुर्वेदी अपने घर की छत पर ही सब्जी उगा रहे हैं रामगुलाल की छत तो किसी प्रयोगशाला से कम नहीं है उनकी छत पर 18 वैरायटी के टमाटर, 22 वैरायटी के बैंगन, 12 वैरीयटी की सेमी, 21 वैरायटी की मिर्च, लौकी समेत कई प्रकार के सब्जी लगी हुई है।
छत को टरेस गार्डन और सब्जी गार्डन के रुप में विकसित करने का प्रचलन बढ़ रहा है। कुछ समाजसेवी संस्थाएं लोगों में जागरुकता फैलाने का काम कर रही हैं। रामगुलाल सिन्हा अपनी छत पर उगने वाली सब्जियों के बीज दूसरे लोगों को निशुल्क देते हैं। वहीं रायपुर की डॉ पुष्पा साहू अपनी पुस्तकों और किसान मेलों के माध्यम से लोगों को ग्रीन होम क्लीन होम के लिए प्रेरित कर रहीं हैं। छत्तीसगढ़ सरकार भी इसमें पीछे नही है।
सरकार प्रदेश के 5 बड़े शहरों रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, रायगढ़ और अंबिकापुर में छत पर खेती करने के लिए लोगों को सब्सिडी में मिनी कीट वितरण कर रही है, ताकि लोगों को छत पर सब्जी उगाने के लिए लगने वाला सामान और बीज आसानी से उपलब्ध हो सके।
छत पर खेती करने से पौष्टिक सब्जी तो उपलब्ध होगी ही साथ ही वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ेगी यही नहीं मकान का तापमान भी नियंत्रित होगा इसके आलावा सुबह टहलने के लिए हरा भरा वातावरण भी घर की छत पर ही उपलब्ध हो जाएगा वो भी बिना किसी अतिरिक्त लागत या मेहनत के। घर छोटा हो या बड़ा एक मंजिला हो या बहुमंजिला आप किसी भी घर की छत पर हरी सब्जी उगा सकते हैं। जरुरत पडऩे पर समाजसेवी संस्थाओं और कृषि विभाग की मदद भी ले सकते हैं।