पिछले कुछ दिनों से गौरगांव, कुचेंगा, भूतबेड़ा, नकबेल, गरहाडीह, साहेबिनकछार, गोना, कोकड़ी, कुसियारबरछा, नागेश, बरगांव, जांगड़ा, जुगांड़, उदंती, इंदागांव, कोयबा, कुर्रूभाठा, तौरेंगा, पायलीखंड सहित मुख्यालय मैनपुर के आसपास के गांव देहारगुड़ा, गोपालपुर, कोदोभाठ, रामपारा, भठगांव, बरदुला, ठेमली, पथर्री, झरियाबाहरा सहित जंगल से लगे ग्रामों के किसानों द्वारा लगाई गई फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसानों का कहना है कि उनके खेतों व टिकरा भूमि में लगाए गए धान व मक्का की फसल को वन्यप्राणी जंगली सुअर, भालू, हिरण, नील गाय, सांभर, बंदर द्वारा क्षति पहुंचाई जा रही है।
बड़े जानवर खेतों के भीतर घुसकर धान के पौधों को रौंद रहे हैं। बंदर व जंगली शूकर भालू मक्का की फसलों को तबाह करने में लगे हुए हैं। इस क्षेत्र में किसान पिछले कुछ वर्षों से भारी पैमाने पर मक्के की फसल ले रहे हैं। जंगली जानवरों के अलावा फसलों में तरह-तरह के कीट प्रकोप ने किसानों को परेशानी में डाल दिया है। ऐसे में अब बचे-खुचे फसलों को वन्यप्राणी नुकसान पहुंचाने में लगे हैं। कई बार इसकी शिकायत वन विभाग के अफसरों से किसानों द्वारा की जा चुकी है, लेकिन वन विभाग द्वारा इस ओर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है। किसानों ने बताया कि मक्के की फसल मे अब फल लग रहा है और बंदरों का झुंड सीधे खेतों के अंदर घुसकर फसल व फल को तोड़ कर नुकसान पहुंचा रहे हैं।
ग्रामीण खेतों के बीच मचान बनाकर व डब्बों, टीन को पीटकर वन्यजीवो को दूर भगाने जद्दोजहद कर रहे है। कभी-कभी जंगली जानवर खेतों की रखवाली करने वालों पर भी हमला करने की कोशिश करते हैं। देहारगुड़ा, गिरहोला, रामपारा के ग्रामीण भालुओं के गांव के समीप आने की वजह से फसलों की रखवाली करने में झिझक रहे हैं। क्षेत्र के किसानों ने क्षति पहुंचे फसलो को देखते हुए वन विभाग से मुआवजे की मांग की है।