उन्होंने कहा कि मनुष्य को दुखी बनाने का मूल कारक अविद्या है। शून्यता का ज्ञान होने से अविद्या का क्षय होता है।दलाई लामा ने प्रवचन में शून्यता का सिद्धांत,परहित, क्लेश,बोधिचित्त की विस्तार से व्याख्या की।कहा कि सिर्फ शांति की स्थापना और बोधिचित्त की प्राप्ति के लिए शून्यता का सिद्धांत जरूरी है। स्वयं ही बोधिचित्त का उत्पादन करें।अपने पराये सभी के हितों के लिए बुद्धत्व प्राप्त करना चाहिए। शून्यता के दर्शन से बुद्धत्व की प्राप्ति हो सकती है।परहित के लिए दया, करुणा ज़रूरी है। यह बुद्धत्व से प्राप्त होता है।