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ऑडिट के दौरान बड़ा खुलासा : कंपनी से 15000 हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट चोरी, मचा हड़कंप

locationगाज़ियाबादPublished: Oct 03, 2021 06:03:05 pm

Submitted by:

lokesh verma

सीओ अंशु जैन ने बताया कि इस मामले में कंपनी के सीनियर मैनेजर ने अपने दो कर्मचारियों मनीष कुमार व अनिल झा के खिलाफ चोरी का मुकदमा दर्ज कराया है ।हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट चोरी का मामला ऑडिट में सामने आया था। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा।

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गाजियाबाद. अभी तक आपने गाड़ी चोरी के मामले बहुत सुने होंगे, लेकिन गाजियाबाद जिले में गाड़ियों की नंबर प्लेट चोरी होने का एक बड़ा मामला सामने आया है। नंबर प्लेट भी 1 या 2 नहीं, बल्कि पूरी 15000 नंबर प्लेट चोरी हुई हैं और बड़ी बात यह है कि चोरी हुई सभी नंबर प्लेट हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट हैं। बता दें कि सरकार ने गाड़ियों की चोरियां कम करने और हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगी हुई गाड़ियों से अपराधों में कमी लाने के लिए एचएसआरपी योजना लागू की है। लेकिन, नंबर प्लेट को बनाने वाली कंपनी के ऑफिस से ही बड़ी संख्या में चोरी हुई हैं। इन नंबर प्लेट का दुरुपयोग कर किसी भी बड़े अपराध को अंजाम दिया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि न्यायालय के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी परिवहन कार्यालय को यह आदेश दिया था कि 1 अप्रैल 2019 से पहले के सभी वाहनों पर हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाना आवश्यक किया गया है। जिसकी समय सीमा 30 सितंबर 2021 रखी गई थी। निर्धारित तय सीमा बीत भी चुकी है। विभाग के द्वारा तय सीमा के मुताबिक इसके बाद जो भी वाहन बिना एचएसआरपी के पाया जाएगा। उस पर 5000 हजार रुपए का चालान किया जाएगा। माना जा रहा है कि इस हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट को लगाने से गाड़ी को ट्रैक करना आसान होता है। इसलिए गाड़ियों की चोरी भी कम होगी और आपराधिक उपयोगों में कमी आने के साथ-साथ अपराधियों को पकड़े जाने में भी आसानी होगी। न्यायालय का यह आदेश अपराध में वाहनों के उपयोग को कम से कम करना था और साथ ही उनकी पहचान कायम करना था। लेकिन शायद इसी हड़बड़ी और ज्यादा डिमांड के कारण गाजियाबाद में चोरों ने हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट बनाने वाली कंपनी पर ही सेंध लगा दी। शायद उन्हें इस रजिस्ट्रेशन प्लेट की डिमांड की जानकारी थी। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में 15 हजार हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट की चोरी का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मचा है। पूरा मामला कंपनी के ऑडिट में खुलकर सामने आया। अब कंपनी प्रबंधक ने गाजियाबाद के मधुबन बापूधाम थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
पुलिस ने वेयर हाउस के दो कर्मचारियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। रोसमेरटा सेफ्टी सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड में अशोक वर्मा सीनियर मैनेजर हैं। कंपनी का ऑफिस मधुबन बापूधाम सेक्टर-23 में है। यह कंपनी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनाती है। कंपनी का प्रोडक्शन सेंटर और वेयर हाउस सेक्टर-22, डी-1 में है। अशोक वर्मा के अनुसार, यह कंपनी एचएसआरपी बनाने के लिए अधिकृत है। कंपनी का प्लांट असम में है। जहां से ब्लैंक प्लेट आती है और गाजियाबाद के वेयरहाउस में भेजी जाती है। मैनेजर ने बताया कि बीते शनिवार को ऑडिट कराया गया। इसमें 15 हजार नंबर प्लेटें गुम पाई गई हैं। अभी ऑडिट चल रहा है। इनकी संख्या और बढ़ सकती है।
लंबे समय से चोरी छिपा रहे थे कर्मचारी

यहां एचएसआरपी प्लेट तो गुम हुई, लेकिन कर्मचारी स्टॉक रजिस्टर में पूरी संख्या दिखाते रहे। सीनियर मैनेजर ने बताया कि यहां कार्यरत मनीष कुमार और अनिल झा स्टोर इंचार्ज का कार्य देखते हैं। दोनों कर्मचारियों को गुम हुई हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के बारे में पता था, लेकिन उन्होंने अपने सीनियर व हेड ऑफिस को इस बारे में कभी नहीं बताया। रोजाना के स्टॉक रजिस्टर में भी दोनों कर्मचारी गुम हुई प्लेटों को स्टॉक में मौजूद होना दर्शाते रहे, ताकि यह पता न चल पाए। कंपनी स्तर से दोनों कर्मचारियों से कई बार पूछा गया, लेकिन फिलहाल उन्होंने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया। वेयर हाउस की चाबी भी इन्हीं दोनों कर्मचारियों पर रहती है। सीनियर मैनेजर ने पुलिस को बताया कि इस केस की गहनता से जांच अवश्य होनी चाहिये, ताकि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का दुरुपयोग न होने पाए।
किसी बड़े रैकेट का हाथ होने की आशंका

असली प्लेट बनवाने में 10 दिन, नकली 4-5 घंटे में हो तैयार हो जाती है। माना जा रहा है कि वेयर हाउस से 15 हजार हाईसिक्योरिटी नंबर प्लेट गायब कराने में एक बड़े रैकेट का हाथ भी हो सकता है। दरअसल, कुछ स्थानों पर अवैध तरीके से इस तरह की प्लेट बनाई जा रही हैं। तमाम वाहन स्वामियों को इन नंबर प्लेट के असली-नकली में फर्क नहीं पता। ये जालसाज इसी बात का फायदा उठाते हैं। असली प्लेट में सिर्फ होलोग्राम स्टीकर के नीचे जो यूनिक नंबर होता है, वह नकली प्लेट में नहीं होता। बाकी दोनों प्लेट एक जैसी होती हैं। असली प्लेट बनवाने में कम से कम 10 दिन का वक्त लगता है। जबकि नकली प्लेट ये जालसाज सस्ते दाम पर महज 4-5 घंटे में उपलब्ध करा देते हैं। मेरठ में पिछले दिनों इस तरह का रैकेट पकड़ा भी गया था, जिसके तार दिल्ली से जुड़े हुए थे।
दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा

सीओ अंशु जैन ने बताया कि इस मामले में कंपनी के सीनियर मैनेजर ने अपने दो कर्मचारियों मनीष कुमार व अनिल झा के खिलाफ चोरी का मुकदमा दर्ज कराया है। चोरी का मामला ऑडिट में सामने आया था। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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