जानकारी के अनुसार, जिस स्कूल बस में यह दर्दनाक हादसा हुआ था। उसका फिटनेस सर्टिफिकेट करीब एक साल पहले ही समाप्त हो चुका था और संभागीय परिवहन विभाग ने इस बस को पहले से ही ब्लैक लिस्ट किया हुआ था। उसके बावजूद भी बस का संचालन स्कूल की तरफ से किया जा रहा था। इस मामले की गूंज लखनऊ तक जा पहुंची और मुख्यमंत्री ने भी तत्काल प्रभाव से इसका संज्ञान लिया। उधर संभागीय परिवहन विभाग के अधिकारियों से भी इसकी रिपोर्ट मांगी गई। बहरहाल इस मामले में एआरटीओ प्रशासन विश्वजीत प्रताप सिंह और एआरटीओ प्रवर्तन सतीश कुमार के अलावा पूर्व में तैनात रहे आरआई प्रेम सिंह जो कि फिलहाल में कानपुर में तैनात हैं। इन तीनों को ही निलंबित कर दिया गया है।
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ग्रेटर नोएडा में 60 हजार वर्ग मीटर में कट रही अवैध कॉलोनी का काम रोका मानकों पर खरी नहींं उतरने के बाद भी जारी किया गया सर्टिफिकेट बताया जा रहा है कि 2020 में पूर्व में तैनात रहे आरआई प्रेम सिंह ने ही इस बस का सर्टिफिकेट जारी किया था। उस वक्त भी कई मानकों पर बस खरी नहीं थी। उसके बावजूद भी सर्टिफिकेट जारी किया गया। इस मामले में दोषी मानते हुए प्रेम सिंह को निलंबित किया गया है। वहीं दूसरी तरफ एआरटीओ प्रशासन विश्वजीत प्रताप सिंह पर इस मामले में शिथिलता बरते जाने का आरोप लगा है, जिसके चलते उन्हें भी निलंबित किया गया है।
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सोतीगंज के 18 करोड़पति कबाड़ियों की संपत्ति होगी जब्त, एक्शन में खाकी एआरटीओ प्रवर्तन की तरफ से भी नहीं लिया गया कोई एक्शन उधर इतने दिन से ब्लैक लिस्ट बस का संचालन किया जा रहा था और एआरटीओ प्रवर्तन की तरफ से इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। इसलिए एआरटीओ प्रवर्तन सतीश कुमार को भी दोषी मानते हुए उन्हें निलंबित किया गया है। हालांकि अभी तक कोई इन आरोपों के आदेश की कॉपी प्राप्त नहीं हुई है।