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जब अपनों से बिछड़ जाता है कोई तो फरिश्ता बनकर इस तरह मदद करता है यह शख्स

locationगाज़ियाबादPublished: Feb 05, 2018 09:12:35 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

इसके अलावा इन्हें जो भी बच्चे लावारिस स्थिति में मिलते हैं, उनको जुवेनाइल कोर्ट के माध्यम से अपनी जिम्मेदारी पर लेकर उनका पालन-पोषण किया जाता है।

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गाजियाबाद। शहर के थाना कविनगर इलाके के डायमंड फ्लाईओवर के नीचे बेहोशी की हालत में पड़े एक बुजुर्ग को कभी नगर में रहने वाले आचार्य तरुण ने अथक प्रयासों के बाद उसके परिजनों से मिलाया था। मूल रूप से कविनगर इलाके में रहने वाले आचार्य तरुण मानव को मोरटा निवासी कपिल त्यागी ने सूचना दी कि एक बुजुर्ग अर्धनग्न अवस्था में पढ़ा हुआ है, जो जिंदगी और मौत से जूझ रहा है।
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सूचना मिलते ही आचार्य तरुण मानव ने इंसानियत का परिचय देते हुए, मौके पर पहुंचकर बेसुध हालत में पड़े बुजुर्ग को उठाया और उसे स्नान कराने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया। उसके बाद उन्होंने बुजुर्ग को उसके परिजनों से मिलाने के लिए तमाम प्रयास किये। काफी प्रयास के बाद आखिरकार तरुण मानव को लावारिस हालत में पड़े बुजर्ग की पहचान मूल रूप से बिजनौर नगीना निवासी निहार के रुप में हुई। आचार्य तरुण ने बुजुर्ग निहार के घर वालों को इसकी सूचना दी। जैसे ही निहार के परिजनों को उनके बुजुर्ग के मिलने की खबर पता चली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और गाजियाबाद आकर पिछले काफी दिन से लापता अपने बुजुर्ग को वापस ले गए और आचार्य तरुण मानव का शुक्रिया अदा किया।
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बुजुर्ग निहार के परिजनों का कहना था कि काफी समय पहले इन्हें एक व्यापार में बड़ा घाटा आ गया था। जिसके चलते यह मनोरोगी हो गए थे। लगातार यह घर में ही रहते थे लेकिन अचानक ही एक दिन यह घर से लापता हो गए। काफी तलाश करने के बाद भी इनका कोई अता-पता नहीं चल पाया था अब आचार्य तरुण के अथक प्रयास के बाद उनके बुजुर्ग का पता चला तो वह है बेहद खुश हैं।
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आपको बताते चलें कि आचार्य तरुण मानव प्रेरणा सेवा संस्थान के नाम से एक NGO चलाते हैं, जिसके अंतर्गत आचार्य तरुण मानव तमाम ऐसे बच्चों का लालन पालन करते हैं, जो कि अपने मां बाप से बिछड़ जाते हैं या कहीं लावारिस स्थिति में मिलते हैं। प्रेरणा सेवा संस्थान चलाने वाले आचार्य तरुण मानव ने बताया कि गाजियाबाद पुलिस द्वारा चलाए गए ऑपरेशन स्माइल के दौरान जितने भी बच्चे बरामद हुए उनमें से करीब सौ बच्चों को अब तक उनके परिजनों से मिला चुके हैं। आज भी प्रेरणा सेवा संस्थान के अंदर 3 महीने से लेकर करीब 12 साल तक के 33 बच्चे मौजूद हैं, जिनका लालन पालन आचार्य तरुण मानव और उनकी टीम मिलकर करते हैं।
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Tarun Manav
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इतना ही नहीं यहां पर बच्चों को पढ़ाया भी जाता है। उन्होंने कहा कि इनके द्वारा लगातार यह प्रयास किया जाता है कि जितने भी बच्चे अपने मां बाप से बिछड़ गए हैं, उन सभी बच्चों को कैसे भी उनके मां बाप तक पहुंचाया जाए। उन्होंने बताया कि जो भी बच्चे लावारिस स्थिति में मिलते हैं या ऑपरेशन स्माइल के दौरान बरामद किए जाते हैं, उन बच्चों को जुवेनाइल कोर्ट के माध्यम से प्रेरणा सेवा संस्थान में लाया जाता है।
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