scriptMahashivaratri 2020: कलयुग में यहां प्रकट हुए थे भगवान शिव, आज दूर-दूर से उमड़ती है भक्तों की भीड़ | Crowd of devotees gathered at ghaziabad dudheshwar nath temple | Patrika News

Mahashivaratri 2020: कलयुग में यहां प्रकट हुए थे भगवान शिव, आज दूर-दूर से उमड़ती है भक्तों की भीड़

locationगाज़ियाबादPublished: Feb 21, 2020 11:17:46 am

Submitted by:

virendra sharma

Highlights
. देशभर में 21 फरवरी को धूमधाम से मनाया जा रही है महाशिवरात्रि . गाजियाबाद के प्रचीन सिद्धपीठ दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में देर रात से ही लगी भक्तों की भीड़ . एक से डेढ़ किलोमीटर तक की लंबी लंबी लाइन लगी
 

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गाजियाबाद। देशभर में 21 फरवरी को शिवरात्रि का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। शिवालयों में ओम नमः शिवाय के मंत्र की गूंज सुनाई दे रही है। वहीं, गाजियाबाद के प्रचीन सिद्धपीठ दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में देर रात 12 बजे से जल चढ़ना शुरू हो गया है। देर रात से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। जल चढ़ाने पहुंचे श्रद्धालुओं की शुक्रवार को एक से डेढ़ किलोमीटर की लंबी लाइन दिखाई दी।
बता दें कि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, इस दिन को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ और पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। पूजा करने के पहुंचे भक्तों की लंबी—लंबी लाइन दिर्खा दी। कुछ शिवभक्त हरिद्वार और गंगोत्री से जल लाकर भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक करने पहुंचे हैं। कुछ भक्त फल, फूल, बेलपत्र, मिष्ठान, अक्षत, गन्ने का रस, दूध ,दही नारियल इत्यादि भोलेनाथ को भेंट कर भगवान भोलेनाथ की आराधना करते हैं।
उधर, शिवालय में आने वाले भक्तों की बड़ी संख्या को देखते हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हुए है। पुलिस अधिकारियों के साथ—साथ भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। इसके अलावा मंदिर समिति और सिविल डिफेंस के कार्यकर्ता भी मंदिर परिसर में पूरी तरह नजर बनाए हुए हैं। सुरक्षा के लिहाज से मंदिर में 16 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
दूधेश्वर नाथ मंदिर के महंत नारायण गिरी महाराज ने बताया कि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि पुरानी मान्यता और पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ था। उन्होंने बताया कि भक्तों को मनोवांछित फल पाने के लिए पूरे विधि—विधान के साथ पूजा अर्चना करनी चाहिए। महंत श्री नारायण गिरी जी महाराज ने बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 21 फरवरी दिन शुक्रवार को शाम 5:20 से हो गया। जोकि 22 फरवरी दिन शनिवार को शाम 7:02 तक रहेगा।
महेंद्र नारायण गिरी जी महाराज ने बताया कि दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर अपनी ऐतिहासिक के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों और सेवा प्रकल्पों के लिए भी प्रसिद्ध है। रावण के पिता विश्वेश्रवा ने यहां कठोर तप किया। पुराणों में हरनंदी (हिरण्यदा) नदी के किनारे हिरण्यगर्भ ज्योतिर्लिंग का वर्णन मिलता है। रावण ने भी यहां पूजा-अर्चना की थी। हिरण्यगर्भ ज्योतिर्लिंग ही दूधेश्वर महादेव मठ मंदिर में जमीन से साढ़े तीन फीट नीचे स्थापित स्वयंभू दिव्य शिवलिंग है। दरवाजे के मध्य में गणेश जी विद्यमान है।
मंदिर के महंत नारायण गिरी जी महाराज ने बताया कि दूधेश्वर महादेव के लिए एक कथा प्रचलित है। पास ही के गांव कैला की गायें जब यहां चरने के लिए आती थीं। तब टीले के ऊपर पहुंचने पर स्वतः ही दूध गिरने लगता था। इस घटना से अचंभित गांव वालों ने जब उस टीले की खुदाई की तो उन्हें वहां यह शिवलिंग मिला। आज यहीं मंदिर दूधेश्वर नाथ मंदिर से प्रसिद्ध है। उन्होंने बताया कि इस मंदिर में एक धूना भी है, जिसके बारे में कलयुग में यहां महादेव प्रकट हुए थे और आज तक यह जलती है। यहां आज भी एक कुआं भी मौजूद है। इसका पानी मीठा और कभी गाय के दूध जैसे लगता है।
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