यह रिपोर्ट एक सरकारी समिति की ओर से दाखिल की गई है। समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, गाजियाबाद नगर निगम और अन्य विभागों से जुड़े अधिकारी शामिल हैं। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो सिर्फ गाजियाबाद में ही करीब 1500 डेयरी फार्म संचालित होते हैं।
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इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में एनजीटी को बताया है कि गाजियाबाद के रहवासी इलाकों में चल रही विभिन्न डेयरियां अवैध हैं। यह सभी डेयरियां बिना लाइसेंस संचालित की जा रही हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि ये डेयरियां जरूरी मानकों को पूरा नहीं करतीं। इनमें बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। डेयरियों से निकलने वाला पशुओं का मल-मूत्र और दूसरे अन्य अपशिष्ट पदार्थ व जल के उचित निपटान की व्यवस्था भी नहीं है। इससे ये सभी अपशिष्ट नालों के जरिये हिंडन नदी में मिल रहे हैं और नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, सभी डेयरी फार्म गोबर एकत्रित करते हैं और रेलवे लाइन के पास डालते हैं। उसके बाद नगर निगम बागवानी में बतौर खाद उनके इस्तेमाल के लिए जरूरी जगहों पर पहुंचाती है। डेयरी फार्म में फर्श को उचित तरीके से पक्का नहीं किया गया है, जिससे अपशिष्ट जल एकत्रित नहीं हो पाता। यही नहीं, समिति ने अपनी रिपोर्ट में एनजीटी को यह भी बताया कि डेयरियों से निकलने वाला अपशिष्ट सीधे नाले में चला जाता है और यह हिंडन नदी में मिलता है। इससे हिंडन नदी में प्रदूषण बढ़ता है।
एनजीटी को बताया गया कि डेयरी फार्मों की ओर से पानी की खपत के लिए इलेक्ट्राॅनिक मीटर भी नहीं लगाए गए हैं। इससे हर रोज हो रही पानी की खपत का आकलन नहीं हो पा रहा। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि डेयरी फार्म संचालक परिसर की साफ-सफाई पर भी ध्यान नहीं देते, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
शहर से बाहर करें संचालन का विकल्प सूत्रों की मानें तो अवैध घोषित होने के बाद इन डेयरियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जल्द ही इन्हें बंद करने का फैसला भी लिया जा सकता है। हालांकि, इन डेयरी संचालकों को एक विकल्प दिया जा सकता है और वह यह कि वे अपनी डेयरियों को शहर से बाहर शिफ्ट कर लें।