Special report: शहर में बिना रजिस्ट्रेशन दौड़ रहे हैं ई-रिक्शे, ये आंकड़े दे रहे गवाही
अगर समूचे जनपद में ई-रिक्शों की गिनती की जाए तो सैकड़ों की संख्या में आपको ई-रिक्शे सड़कों पर फर्राटे भरते दिखाई दे जाएंगे।

गाजियाबाद। शहर में पिछले कुछ समय से ई-रिक्शा की भरमार हो गई है। सड़क, गली-मोहल्ले में भी ई-रिक्शा चलते दिखाई दे जाएंगे। शुरुआती दौर में ई-रिक्शा को रजिस्ट्रेशन के बाहर रखा गया था, लेकिन कुछ समय बाद सरकार द्वारा यह नियम लागू किया गया कि ई-रिक्शा भी रजिस्टर्ड होंगे। यानी उन्हें भी अब आरटीओ विभाग से दूसरे वाहनों की तरह नंबर लेना होगा। यदि आंकड़ों की बात की जाए तो वर्ष 2016 में गाजियाबाद के एआरटीओ विभाग में मात्र 30 ई-रिक्शा ही रजिस्टर्ड हुए, जबकि वर्ष 2017 में कुल 408 ई-रिक्शा का पंजीकरण हुआ है। अगर समूचे जनपद में ई-रिक्शों की गिनती की जाए तो सैकड़ों की संख्या में आपको ई-रिक्शे सड़कों पर फर्राटे भरते दिखाई दे जाएंगे।
यानी वर्ष 2016 और 2017 में जनपद गाज़ियाबाद में कुल 438 ई-रिक्शों के रजिट्रेशन हुए हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह भी है कि आपको ज्यादातर ई-रिक्शा चलाने वाले नाबालिग ही मिलेंगे। जिनके कारण आए दिन सड़क पर हादसों में भी इजाफा हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी किसी अधिकारी का इस पर कोई ध्यान नहीं है। गाजियाबाद में जब से ई-रिक्शे चलना शुरू हुए हैं तब से इनके रजिस्ट्रेशन का नियम भी बना दिया गया है। इसके बाद से गाजियाबाद में कितने ई-रिक्शों का रजिस्ट्रेशन हुआ है।
इन्हें चलाने वालों ने कितने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाए हैं। इसके लिए क्या प्रक्रिया है। इसकी जानकारी के लिए हमने गाजियाबाद आरटीओ विभाग के एआरटीओ प्रशासन विश्वजीत सिंह से जानकारी ली, तो उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में ई-रिक्शा का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं होता था और न ही इन्हें चलाने के लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता होती थी, लेकिन इनकी बढ़ती संख्या और इनके कारण लगातार सड़क हादसों में इजाफे को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा इनके रजिस्ट्रेशन किए जाने का नियम बनाया।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में कुल 30 ई-रिक्शा के रजिस्ट्रेशन हुए, जबकि सन 2017 में 408 ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन किया गया। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे ई-रिक्शा चालकों को यह मालूम हो रहा है कि अब इनका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है तो उसकी एप्लीकेशन भी बढ़ रही हैं। लोग स्वयं ही अपने ही रिक्शा का रजिस्ट्रेशन कराने में लगे हैं। इस प्रक्रिया को पूरी करने के लिए सबसे पहले ई-रिक्शा के जो प्रमाड़ित और स्वीकृत डीलर हैं। उनके द्वारा ई-रिक्शा चालक को 15 दिन की ट्रेनिंग का प्रमाण पत्र दिया जाता है। वह प्रमाणपत्र आरटीओ विभाग के अंदर लाइसेंस बनाने वाले फार्म के साथ लगाया जाता है, जिसके लिए नॉर्मल लाइसेंस फीस जमा की जाती है। यानी 300 लाइसेंस फीस और 400 कार्ड फीस यानी कुल 700 रुपए फीस के रूप में जमा होते हैं। उसके बाद शुरुआती दौर में लाइसेंस बनवाने वाले को लर्निंग लाइसेंस दिया जाता है। उसके बाद परमानेंट लाइसेंस जारी होता है और वह डाक द्वारा लाइसेंस होल्डर के घर पहुंच जाता है।
एआरटीओ प्रशासन विश्वजीत सिंह ने बताया कि ई-रिक्शा के परमानेंट लाइसेंस बनवाने वालों की संख्या वर्ष 2016 में कुल 40 थी। जबकि 48 लर्निंग लाइसेंस बनाए गए थे। इसके अलावा वर्ष 2017 में 124 लर्निंग लाइसेंस के आवेदन आए थे, जिनमें से 112 लाइसेंस परमानेंट बनाए गए थे। उन्होंने बताया कि लगातार लाइसेंस बनवाने वालों के लिए आवेदन आ रहे हैं और बड़ी संख्या में लोग लाइसेंस बनवाने की तैयारी में हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष जिस तरह दूसरे वाहनों की चेकिंग की जाती है। ठीक उसी तरह अब ई-रिक्शा की भी चेकिंग की जाएगी। यदि मानकों के अनुसार नहीं पाए जाएंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन यदि गाजियाबाद में ई-रिक्शा की वास्तविक जानकारी की जाए तो हजारों की संख्या में ई-रिक्शे सड़कों पर दौड़ रहे हैं। यानी अभी कुछ ई-रिक्शा चालक यह भी नहीं जानते कि इन्हें चलाने के लिए इनका रजिस्ट्रेशन भी जरूरी है साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस भी जरूरी है।
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