बता दें कि महामारी के इस दौर में कई लोग हैं जो एक दूसरे की मदद के लिए आगे आ रहे हैं, और हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि वो जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकें। किसान ने जब देखा कि लोग अंतिम संस्कार के लिए श्मशान के बाहर घंटों तक इंतजार कर रहे (Waiting In Graveyard) हैं। लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें शव के दाह संस्कार के लिए जगह नहीं मिल रही है तो उसने यह फैसला लिया और निगम को अपनी जमीन दान (Donate Crore’s Land) कर दी। दरअसल, यह किसान सुशील कुमार करहैड़ा के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी 1500 गज जमीन निगम को श्मशान घाट बनाने के लिए दान दी है।
सुशील द्वारा दान की गई जमीन पर लोगों का अंतिम संस्कार शुरू कर दिया गया है। वहीं अब इस जमीन पर 10 प्लेटफॉर्म बनाने का काम भी शुरू किया जा चुका है। दान की गई इस जमीन पर कोरोना से अपनी जान गांवने वाले लोगों का भी दाह संस्कार किया जााएगा। बता दें कि अभी तक लोगों की मदद करने वाले कई लोगों के मामले सामने आए हैं लेकिन दिल्ली-एनसीआर में श्मशान के लिए अपनी करोड़ों की जमीन दान देने का यह पहला मामला सामने आया है। इस काम को करने के बाद साहिबाबाद के सुशील ने इंसानियत की एक मिसाल पेश की है।
सुशील कुमार ने बताया कि हर दिन कोरोना से लोगों की जान जा रही है। हिंडन श्मशान घाट पर इतनी भीड़ है कि लोग शवों के दाह संस्कार के लिए 10-10 घंटों कर इंतजार कर रहे हैं। इसके बावजूद भी कई लोगों का नंबर तक नहीं आ रहा। यह सब देखकर वो बहुत ज्यादा दुखी हैं और इसलिए ही उन्होंने यह फैसला लिया और बाकी लोगों को भी मदद करने की अपील की है।