आपको बता दें कि भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर 23 सितंबर को हरिद्वार से शुरू हुई किसान क्रांति यात्रा 2 अक्टूबर को दिल्ली में समाप्त होगी। किसान नेताओं का कहना है कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार किसानों से किये गये वायदों को निभाने में नाकाम रही है। उन्होंने किसानों की समस्याओं पर संसद का विशेष संयुक्त अधिवेशन बुलाने की मांग की। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि किसान क्रांति यात्रा कर्ज माफी समेत नौ मांगों को लेकर हरिद्वार के टिकैत घाट से लेकर संसद भवन तक निकाली जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के चार साल पूरे हो जाने के बाद भी पूरे देश में किसान आंदोलन हो रहे हैं, जो इस बात के प्रमाण हैं कि सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है। टिकैट ने कहा कि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य न मिलने के कारण कर्ज का भार बढ़ रहा है। इसी कारण बड़ी संख्या में किसानों की आत्महत्याओं के मामले बढ़ रहे हैं। पिछले 20 सालों में 3 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं, उन्होंने मांग की कि मृतक किसानों के परिवारों का पुर्नवास किया जाए और उन्हें नौकरी दी जाए।
टिकैट ने सरकार से मांग की है कि किसानों की न्यूनतम आमदनी सुनिश्चित की जाए। लघु एवं सीमांत किसानों को 60 वर्ष की आयु के बाद कम से कम 5000 रुपए मासिक पेंशन दी जाए। साथ ही, उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में एनजीटी की 10 साल से पुराने डीजल वाहनों के संचालन पर लगाई गई पाबंदी को तुरंत हटाया जाए। साथ ही किसानों के ट्रैक्टर, पंपिंग सैट, कृषि कार्यो में इस्तेमाल होने वाले डीजल इंजन को (एंटिक कारों के आधार पर) इससे बाहर रखा जाए। टिकैट का कहना है कि सरकार देश में पर्याप्त मात्रा में पैदावार होने वाली फसलों का आयात बंद करे। उन्होंने कहा कि एसियान मुक्त व्यापार समझौते की आड़ में कई देशों द्वारा ऐसी वस्तुओं का निर्यात किया जा रहा है, जिसके वह उत्पादक नहीं हैं।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता युद्धवीर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के हित में न होकर बीमा कंपनियों के हित में कार्य कर रही है। उन्होंने मांग की, योजना में बदलाव कर प्रत्येक किसान को ईकाई मानकर सभी फसलों में स्वैच्छिक रूप से लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि देश के गन्ना किसानों पर लगभग 19 हजार करोड़ रुपया गन्ना सीजन बंद होने के बाद भी बकाया है। भाजपा ने अपने घोषणा-पत्र में 14 दिन में गन्ना भुगतान देने की बात कही थी, लेकिन यह जुमला ही साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि देश में किसान के नाम पर बने डॉ.स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पिछले 15 साल से धूल चाट रही है। उसे लागू करना तो दूर आज तक उस पर संसद में चर्चा भी नहीं हुई। उन्होंने सरकार से सी2+50 के फॉर्मूले के हिसाब से एमएसपी देने की मांग की। साथ ही कहा कि सरकार सभी फसलों की शत-प्रतिशत सरकारी खरीद की गारंटी को सुनिश्चित करे और ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे। साथ ही उन्होंने देश के किसानों के सभी तरह के कर्जे माफ करने की मांग भी की। उन्होंने कहा कि देश के किसानों पर तकरीबन 80 प्रतिशत कर्ज राष्ट्रीयकृत बैंकों का है। 2008 की तरह देश के किसानों के सभी तरह के कर्ज (राष्ट्रीयकृत बैंक/सहकारी बैंक/साहुकार) एक ही समय में बिना किसी समय सीमा के माफ किए जाएं।
अपनी इन मांगों को लेकर हजारों की संख्या में किसान सड़क पर उतर आए हैं। ये किसान अब दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं। इनका यह काफिला रविवार को मुरादनगर पहुंचा। ये किसान अक्टूबर को जंतर मंतर पहुंचकर सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे। किसानों का कहना है कि यदि इतने पर भी सरकार की नींद नहीं खुली तो सभी किसान इकट्ठा होकर संसद का घेराव करेंगे। उन्होंने कहा कि किसान का हर सरकार मैं हमेशा से ही शोषण हुआ है। उन्होंने कहा कि किसानों को भाजपा सरकार से काफी उम्मीदें थी, लेकिन वह पूरी नहीं हो पाई है। इतना ही नहीं किसान भुखमरी की कगार पर आ गया है। किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। इसी लिए किसान सड़क पर उतरने को मजबूर हुआ है।