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Farmers Protest : गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने की पक्के निर्माण की तैयारी, अधिकारियों में मचा हड़कंप

locationगाज़ियाबादPublished: May 14, 2021 12:34:11 pm

Submitted by:

lokesh verma

गाजियाबाद के गाजीपुर बॉर्डर पर लंबे समय से कृषि कानून की वापसी की मांग को लेकर धरने पर बैठे किसानों ने पक्के शौचालय के लिए मंगाई निर्माण सामग्री।

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गाजियाबाद के गाजीपुर बॉर्डर पर लंबे समय से कृषि कानून की वापसी की मांग को लेकर धरने पर बैठे किसानों ने पक्के शौचालय के लिए मंगाई निर्माण सामग्री।

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
गाजियाबाद. जिला प्रशासनिक अधिकारियों में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों ने धरना स्थल पर निर्माण सामग्री लानी शुरू कर दी। जैसे ही यह जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों को मिली तो आनन-फानन में एडीएम सिटी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। किसान नेताओं से बात करने के बाद पता चला कि यहां किसी तरह का पक्का निर्माण नहीं किया जा रहा है। केवल पक्के शौचालय बनाने की तैयारी चल रही है, लेकिन एडीएम सिटी ने किसानों को ऐसा करने से साफ तौर पर मना कर दिया और किसान नेताओं को काफी समझाया। इसके बाद एडीएम सिटी ने अतिरिक्त शौचालय का प्रबंध कराया। उसके बाद किसान पक्का निर्माण नहीं करने का आश्वासन दिया।
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आपको बताते चलें कि गाजियाबाद के गाजीपुर बॉर्डर पर लंबे समय से कृषि कानून की वापसी की मांग को लेकर किसान धरने पर बैठे हुए हैं। समय-समय पर कुछ न कुछ नई एक्टिविटी करते रहते हैं, ताकि सरकार उनकी मांगों पर कोई ध्यान दे, लेकिन उसके बावजूद भी किसानों का तमाम प्रयास विफल होते नजर आ रहे हैं। अब किसानों ने अचानक ही धरना स्थल पर निर्माण सामग्री इकट्ठा करनी शुरू कर दी, जिसे देखकर अंदाजा लगाया जा रहा था कि सिंधु बॉर्डर के बाद अब शायद यूपी गेट बॉर्डर पर भी पक्के निर्माण की तैयारी की जा रही है। जैसे ही यह जानकारी प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंची तो हड़कंप मच गया।
सूचना मिलते ही खुद गाजियाबाद एडीएम सिटी ने मौके पर पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान किसान नेताओं ने कहा कि वह कोई भवन निर्माण नहीं, बल्कि अपने लिए पक्के शौचालय बनवा रहे हैं। इस पर एडीएम सिटी ने कहा कि यहां किसी भी तरह के पक्के निर्माण की अनुमति नहीं दी जा सकती है। जब किसान अपनी बात पर अडिग हो गए तो एडीएम सिटी ने शौचालय की समस्या का समाधान कराते हुए अतिरिक्त स्थाई शौचालय का प्रबंध कराया। तब कहीं जाकर किसानों ने किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं किए जाने का भरोसा दिया। उसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली।

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