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राकेश टिकैत बोले- एमएसपी पर बने कानून, देश में भूख पर व्यापार नहीं होने देंगे बता दें कि किसान आंदोलन स्थल पर चल रहे लंगरों और कैंपों में रोजाना लजीज व्यंजन परोसे जा रहे हैं। किसान नेताओं ने बताया कि यहां पर चलने वाले लंगर, रसोई और कैंपों में रोजाना अलग-अलग तरह का खाना बनता है। कोई खास डिमांड नहीं रहती, लेकिन जिसकी जो सेवा होती है वह उस भावना से यहां खाना तैयार करवाता है। यहां के लंगरों और कैंपों में अलग-अलग पकवान भी बनते हैं।
किसानों के अलग-अलग लगे कैंपों में वेज बिरयानी, पकौड़े, रोटी और खीर भी उपलब्ध हो रही है। इसके अलावा कभी कढ़ी-चावल तो कभी छोले-चावल और कभी दाल-चावल या वेज बिरयानी और मीठे चावल परोसे जा रहे हैं। इसके साथ ही चाय के साथ रस, बिस्कुट, पकौड़ी, कचरी-पापड़, गुड़, फल में केले, अंगूर और संतरे भी बांटे जाते हैं। खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों से खीर, गन्ने के रस की खीर, दही, ठंडाई के साथ ही मूंगफली, चने भी बांटे जाते हैं।
किसान आंदोलन के बीच चल रही अलग-अलग तरह की रसोई और स्टॉल को देखकर ऐसा नजारा दिखाई दे रहा है मानो आप किसी मेले में पहुंच गए हो। बड़ी बात यह है कि आपस में सभी कैंपों में इस तरह का श्रद्धा भाव नजर आ रहा है। कोई भी किसान किसी भी कैंप में जाकर आराम फरमा सकता है या उस रसोई में बन रहे भोजन का स्वाद भी चख सकता है। पिज्जा मशीन लगने के बाद यहां लोगों की भीड़ दिखाई दे रही है।