scriptमंदिर चढ़े फूल अब खाद बनकर पौधों को दे रहे जीवन तो गैस से बन रहा प्रसाद | Gas and manure being prepared from the material offered in the temple | Patrika News

मंदिर चढ़े फूल अब खाद बनकर पौधों को दे रहे जीवन तो गैस से बन रहा प्रसाद

locationगाज़ियाबादPublished: Sep 28, 2020 12:58:37 pm

Submitted by:

lokesh verma

Highlights
– गाजियाबाद इंदिरापुरम स्थित शिप्राद सनसिटी शिव मंदिर समिति ने पेश की मिसाल
– मंदिर में चढ़ाई गई सामग्री से तैयार की जा रही गैस और खाद
– देवी-देवताओं को अर्पित किए गए फूलों का नहीं होता अनादर

ghaziabad.jpg
गाजियाबाद. इंदिरापुरम स्थित शिप्रा सनसिटी शिव मंदिर ने देश के उन मंदिरों के लिए एक बड़ा उदाहरण पेश किया है, जहां मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली सामग्री को इधर-उधर फेंक दिया जाता है। शिप्रा सनसिटी के शिव मंदिर में मूर्तियों पर चढ़ाए जाने वाले फूलों से बायोगैस प्लांट द्वारा खाद और गैस बनाई जाती है। फूलों से तैयार किए गए खाद से मंदिर के बगीचे में लगे पौधों को सींचने में इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं इन फूलों से तैयार हुई गैस का प्रयोग मंदिर के किचन में भी किया जाता है, जिससे श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है।
यह भी पढ़ें- मथुरा में शाही जामा मस्जिद पर हक जताने वालों को देवबंदी उलेमा ने बताया फिरकापरस्त

आमतौर पर मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले फूलों को कचरे में डाल दिया जाता है, जिससे वातावरण दूषित होता है। वहीं, कुछ स्थानों पर मंदिर में चढ़ने वाले फूलों को जमीन में दबा दिया जाता है या फिर नदी में बहा दिया जाता है, जिससे नदी प्रदूषित होती है। साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। लेकिन, गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित शिप्रा सनसिटी शिव मंदिर की ओर से मिसाल पेश की गई है। यहां चढ़ाए जाने वाली सामग्री को दो भागों में विभाजित किया जाता है। एक रिसाइकल और दूसरा नॉन रिसाइकल। रिसाइकल सामग्री जैसे फूल-पत्ती आदि को एक जगह एकत्रित किया जाता है। इसके बाद उसे इसके बाद उसे मंदिर में लगे बायोगैस प्लांट में भेज दिया जाता है।
पंडित विनय शर्मा ने बताया कि पहले यहां मंदिर में चढ़ने वाले फूलों को एकत्रित कर जमीन में दबाना पड़ता था या फिर उनको नदी में बहाना पड़ता था। जिससे पर्यावरण को नुकसान होने का खतरा बना रहता था। मंदिर समिति की ओर से करीब 2 वर्ष पहले यहां बायोगैस प्लांट लगाया गया, जिसमें करीब ढाई लाख रुपए का खर्च आया। तब से मंदिर में चढ़ाए गए फूल-पत्तों आदि को बायोगैस प्लांट में डाल दिया जाता है, जो कि 24 घंटे में खाद बन जाते हैं।
मंदिर के पुजारी पंडित विनय शर्मा ने बताया कि देवी-देवताओं को अर्पित किए गए फूलों का अनादर न हो और इसके लिए यहां एक बायोगैस प्लांट लगाया गया है। जिसमें रिसाकल होने वाली सामग्री से खाद और गैस बनाई जाती है। उस खाद से मंदिर के बगीचे में लगे पौधों को सींचने में इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, गैस को मंदिर में बनने वाले भंडारे में में इस्तेमाल किया जाता है। बहरहाल मंदिर समिति की इस पहल की यहां आने वाले सभी लोग सराहना करते हैं। वहीं, लोगों की आस्था से जुड़े श्रद्धा सुमन इधर-उधर नहीं फैलते हैं और उनका सही इस्तेमाल हो रहा है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो