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इसके बाद नगरपालिका आयुक्त सीपी सिंह ने एक समिति गठित कर पार्क के भौतिक लेखापरीक्षा के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था। इस समिति ने विज्ञापन और पीआर कंपनी द्वारा संचालित इंदिरा प्रियदर्शिनी पार्क चलाने में गंभीर उल्लंघन पाया। समिति ने संगमा और यादव के खिलाफ दंडणात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है।
नगरपालिका आयुक्त सीपी सिंह को अपनी रिपोर्ट में मुख्य अभियंता मोईउद्दीन की अध्यक्षता वाली समिति में कहा गया है, “दोनों नेताओं की इस कंपनी ने 2006 में 27 वर्षों के लिए अनुबंध देने के समय जारी किए गए सभी 25 मानकों का उल्लंघन किया है। इस अवधि के दौरान इस कपन ने वादा किया था 10,000 पेड़ों के साथ पार्क विकसित करेंगे और झील में साफ पानी की व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि पर्यटकों को आकर्शित करने के लिए नौकाओं का संचालन के साथ ही बच्चों के लिए जू का भी निर्माण किया जाएगा। लेकिन कंपनी ने अपने वादों को पूरा नहीं किया। इसके बजाय कंपनियों ने प्रवेश शुल्क चार्ज के रुप में प्रति व्यक्ति 10 की वसूली कर करोड़ों की कमाई की।
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समिति ने आगे कहा है कि दोनों कंपनियों ने निर्दिष्ट सीमा से परे निर्माण के लिए गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) से कोई अनुमति नहीं ली है। पार्क में वाणिज्यिक गतिविधियों को चलाने के लिए भी कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी। कंपनियों ने दावा किया ता कि बच्चों के लिए चिड़ियाघर बनाया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया। जबकि वे शादी के हॉल चलाकर वाणिज्यिक गतिविधियों में 40 प्रतिशत पार्क का उपयोग करते थे।
समिति ने ठेका कंपनियों द्वारा उनके अनुबंध के कार्यकाल के दौरान किए गए भारी अनियमितताओं का जिक्र किया है। समिति ने इस साल सितंबर में नगरपालिका आयुक्त सीपी सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी। “सिफारिश पर अमल करते हुए नगरपालिका आयुक्त ने कंपनी को नोटिस जारी किया कि उनके अनुबंध अनियमितताओं के बाद क्यों नहीं खारिज किए जाएंगे। आयुक्त ने जवाब देने के लिए 10 दिन निर्दिष्ट किए हैं, इसके बाद अनुबंध को समाप्त कर दिया जाएगा और यह माना जाएगा कि कंपनियों के पास स्पष्टीकरण जमा करने का कोई आधार नहीं है। इसलिए समाप्ति की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।