डेंगू के मरीजों में बुखार आने के तीसरे दिन के बाद प्लेटलेट्स काउंट कम हो रहे हैं। चौथे से छठवें दिन के बीच में प्लेटलेट्स काउंट 20 से 50 हजार तक पहुंच रहे हैं। इससे लोग दहशत में आ रहे हैं। कुछ डॉक्टर पपीते के रस और पपीते के पत्ते की टैबलेट दे रहे हैं। इसके साथ ही लोग बकरी के दूध का सेवन कर रहे हैं। मगर, इससे प्लेटलेट्स काउंट नहीं बढ़ते हैं। डेंगू के मरीजों को तरल पदार्थ का सेवन करने के लिए कहा जाता है, ताकि खून गाढ़ा न हो। प्लेटलेट्स काउंट बढ़ाने के लिए कोई दवा उपलब्ध नहीं है।
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मिठाई का विकल्प बनी चॉकलेट के पीछे शातिर दिमाग, ये है पूरा खेल इन चीजों से प्लेटलेट्स बढ़ने के साक्ष्य नहीं पैथोलाजी विभाग के डॉ. एचके सिंह ने बताया कि प्लेटलेट्स हर रोज बनती हैं। सात से 10 दिन (हाफ लाइफ) तक खून में रहती हैं। इसके बाद खत्म हो जाती हैं। डेंगू के मरीजों में तीसरे दिन से प्लेटलेट्स काउंट कम होते हैं और डेंगू की रिपोर्ट आइजीएम सातवें दिन के बाद निगेटिव होते जाती है। इसके साथ ही प्लेटलेट्स काउंट बढ़ने लगते हैं। बकरी के दूध, पपीते के रस, पत्ते की टैबलेट, कीवी सहित अन्य दवा से प्लेटलेट्स काउंट बढ़ने का कोई डाटा नहीं है।
बकरी के दूध से हो सकती है उल्टी गाजियाबाद सीएमओ डाॅ. भवतोष शंखधर ने बताया कि डेंगू के मरीजों को बकरी का दूध दिया जा रहा है। इससे गेस्ट्राइटिस होती है। बकरी का दूध पीने के बाद उल्टी आ सकती है। डेंगू के मरीजों को बकरी का दूध नहीं देना चाहिए। प्लेटलेटस बढ़ाने के लिए उचित खानपान की जरूरत होती है।
बकरी पालकों ने उठाया मौके का लाभ इस समय जिले के अधिकांश अस्पताल डेंगू के मरीजों से भरे हुए हैं। डेंगू के मरीजों को बकरी के दूध से प्लेटलेट्स बढ़ने की बात ने बकरी पालकों को मौका दे दिया। जिस दूध को कोई सालभर में कभी नहीं पूछता, उसको लेने के लिए लोग गांव तक दौड़ लगा रहे हैं। इसी मजबूरी का फायदा बकरी पालक उठा रहे हैं। जहां जिस तरह का मौका लग जाए, उस हिसाब से दूध का दाम वसूल रहे हैं। दो दिन पहले तक बकरी के दूध का भाव 1500 रुपये लीटर तक वसूला जा चुका है।