एडीएम ने मामले की जांच किए जाने पर शिकायत को सहीं पाया। बावजूद इसके पुलिस महकमें में मामला पहुंचने के बाद एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। तंग आकर पीड़ित परिवार ने पेरेंट्स एसोसिएशन के साथ में प्रेस कान्फ्रेंस करके इसका विरोध जाहिर किया। इसके अलावा स्पीड पोस्ट के जरिए सीएम योगी आदित्यनाथ से मामले की शिकायत भी की है। इतना ही नहीं पेरेंट्स की शिकायत पर जब जिला अधिकारी ने अपर जिला अधिकारी की अध्यक्षता में जांच कमिटी बनाई थी, जिसे कुल 22 बिंदुओं पर जांच करनी थी। इसमें जांच कमिटी ने स्कूल को 16 बिंदुओं में दोषी पाया है और 6 बिंदुओं पर स्कूल ने कोई जवाब नही दिया है। इसके बाद भी स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
रनिता सिंह निवासी डी-1/1901सुपर टेक निवासी ने बताया कि उनकी बेटी (दिव्यांग) वैभवी सिंह ने स्कूल के सारे टेस्ट पास किए। इसके बाद भी उसे एडमिशन नही दिया गया। मई माह में कारण पूछने के लिए जाने पर प्रचंड गर्मी में स्कूल से बाहर रखा गया। घटना के बाद वैभवी डिप्रेशन में चली गई। स्कूल के कारनामे से उभरने में उसे 3 महीने से अधिक का समय लगा। बच्ची को दाखिला ना देने के साथ-साथ उसका मानसिक उत्पीड़न किया गया जिसकी शिकायत जिला प्रशासन, सीबीएसई, न्यायालय मुख्य आयुक्त विकलांग एवं अन्य मंचों पर की गई है। अब देखने यह है कि सीएम से गुहार लगाने के बाद दिव्यांग छात्रा को इंसाफ मिलता या फिर उसे और संघर्ष करना पड़ेगा।