इस पूरे मामले में मंदिर के महंत श्री नारायण गिरी जी महाराज ने बताया कि शिवरात्रि के पर्व पर देर रात से ही शिव भक्त और कांवड़िए अपनी हाजिरी और त्रयोदशी का जल भगवान भोलेनाथ को अर्पित करने लगे। मंगलवार दोपहर 2:50 से चौदस शुरू हो जाएगी यानी 2:50 से सभी शिव भक्तों और कांवड़िए चौदस का जल भगवान भोलेनाथ को चढ़ाएंगे और चौदस का जल 31 जुलाई दोपहर 12:00 बजे तक भगवान भोलेनाथ को चढ़ाया जाएगा।
महंत नारायण गिरी जी ने बताया कि इस शिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए शिवरात्रि पर पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करना भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करना बेहद फलदाई होता है। भगवान भोलेनाथ को 108 नामों से जाना जाता है। इसलिए भगवान भोलेनाथ पर 108 बेलपत्र के पत्तों को उनके 108 नामों से अर्पित किया जाता है। भांग,धतूरा भोलेनाथ को बेहद पसंद है, तो भांग, धतूरा. गन्ने का रस, दूध, मिठाई आदि का भोग लगाया जाता है।
उन्होंने कहा कि गाजियाबाद के प्रसिद्ध भगवान दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में शिवरात्रि पर लाखों की संख्या में भक्तों ने जलाभिषेक किया। करीब 6 लाख कांवड़ियों और अन्य शिव भक्तों का जलाभिषेक किए जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस बार हर बार से ज्यादा शिवभक्त और कांवड़ियां आने का अनुमान है। सुरक्षा के इंतजाम चाक-चौबंद किए गए।