गाजीपुर बॉर्डर से तराई क्षेत्र का जत्था रविवार को रवाना हो गया, जिसको फतेह मार्च का नाम दिया गया। बता दें कि तराई क्षेत्र के काफी किसान यहां आंदोलन की शुरुआत से ही मौजूद थे। इस मौके पर जाते हुए किसानों का माला पहनाकर स्वागत किया गया। गाजीपुर बॉर्डर के संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने कहा कि तराई क्षेत्र का जत्था रवाना हो गया है और वह हर उस शख्स का शुक्रिया अदा करते हैं। जिसने इस आंदोलन में थोड़ी सी भी उनकी मदद की। जगतार सिंह बाजवा ने बताया कि वह सभी सफाई कर्मचारी से लेकर मीडिया कर्मियों का भी आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने इस आंदोलन में सहयोग किया।
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PM मोदी का अभिनंदन काशी की पहचान हस्तशिल्प उत्पाद से सोमवार से बॉर्डर खुलने की उम्मीद उम्मीद है कि प्रशासन गाजीपुर बॉर्डर को सोमवार को खोल सकता है। बॉर्डर खाली होते ही दिल्ली आने-जाने वाले करीब 13 माह बाद दोबारा से पहले की तरह ही दिल्ली की सीमा में आसानी से प्रवेश कर सकेंगे। बॉर्डर खाली किए जाने की घोषणा के बाद से ही आम लोग बेहद खुश हैं। लोगों का कहना है कि अब वह पहले की तरह समय पर काम धंधे पर आ-जा सकेंगे। बता दें किसान आंदोलन के चलते ड्यूटी पर रोजाना दिल्ली आने-जाने वाले लोगों को कई किलोमीटर जाम के साथ अतिरिक्त सफर करना पड़ता था।
कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन को किया मजबूत बता दें कि शनिवार को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों का पहला जत्था बिजनौर के लिए रवाना किया था। इस दौरान किसानों के साथ राकेश टिकैत खुद भावुक नजर आए थे। क्योंकि करीब एक वर्ष से किसान उनके कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन को मजबूती दे रहे थे। सभी किसानों का भी एक-दूसरे से परिवार के सदस्य की तरह रिश्ता बन गया था। गाजीपुर बॉर्डर से ही तीन कृषि कानून की वापसी की मांग को लेकर सबसे अधिक विरोध किया गया था। हालांकि दिल्ली के अन्य बॉर्डर पर भी किसानों ने प्रदर्शन कर सरकार को बैक फुट पर धकेलने का काम किया।