हिंदू धर्म ग्रंथों में श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि कहा गया है। इस रात में श्रीकृष्ण का ध्यान, नाम अथवा मंत्र जाप करने से संसार की मोह-माया से मुक्ति मिलती है। जन्माष्टमी का व्रत अपने आप में व्रतराज है। इस एक व्रत को करने से सभी व्रतों का फल मिलता है। जन्माष्टमी का व्रत रोहिणी नक्षत्र में भी सिद्ध है। ज्योतिषियों के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर अद्भुत संयोग बन रहा है। इस बार वैसा ही संयोग बन रहा है, जैसा द्वापर युग में उनके जन्म के समय बना था। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए खास तौर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मपाल गर्ग, श्रृंगार सेवा समिति के अध्यक्ष विजय मित्तल, शम्भू शरण सिंह, शंकर झा, मोहित कुमार और दूधेश्वर गण के सभी सदस्य आदि उपस्थित रहेंगे।