गाजियाबाद लोकसभा सीट से भाजपा से जनरल वीके सिंह, कांग्रेस से डॉली शर्मा और गठबंधन से सुरेश बंसल की किस्मत का फैसला 23 मई को होगा। इस लोकसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प है। जनरल वीके सिंह फिलहाल इस सीट से मौजूदा सांसद है। गठबंधन और भाजपा के बीच में टक्कर दिखाई दे रही है। चुनाव से पहले जनरल वीके सिंह के खिलाफ पोस्टर लगे थे। वीके सिंह पर मौजूदा सांसद होते हुए विकास कार्य न करने के आरोप लगे थे। जनरल वीके सिंह केंद्रीय मंत्री और पीएम के करीबी भी माने जाते है।
हालांकि गठबंधन प्रत्याशी की हार जीत को दलित वोट से जोड़कर देखा जा रहा है। उधर, गठबंधन प्रत्याशी भी जीत के आंकलन में दलित वोट बैंक को अहम मान रहे है। भाजपा पॉश कॉलोनियों, शहरी और धौलाना के साठा-चौरासी गांव के वोटों के आधार पर हार-जीत का आंकलन करने में लगे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस के जानकार मुस्लिम के साथ ब्राह्मण और ट्रांस हिडन क्षेत्र के वोटों पर टिका है। हालांकि इस सीट पर भाजपा मजबूत मानी जा रही है। एग्जिट पोल केे मुताबिक, यह सीट भाजपा के खाते में जाती दिखाई दे रही है। जिसकी वजह से गठबंधन को झटका लगा सकता है। गठबंधन ने नामांकन से एेन वक्त पहले इस सीट पर प्रत्याशी बदले गए थे।
मायावती की साख भी होगी दांव पर लोकसभा चुनाव के नामांकन से ऐन वक्त पहले समाजवादी पार्टी ने सुरेंद्र कुमार उर्फ मुन्नी का टिकट काटा था। बसपा के सुरेश बंसल को सपा ने अपने टिकट पर लड़ाया है। सुरेश बंसल बसपा के कद्दावर नेता माने जाते है। सुरेंद्र कुमार उर्फ मुन्नी के टिकट कटने के बाद समर्थकों में गुस्सा दिखा था। अब इस सीट पर बसपा की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। दरअसल, कांग्रेस की तरफ से डॉली शर्मा को प्रत्याशी बनाया गया। सुरेंद्र कुमार मुन्नी भी ब्राह्मण हैं और डॉली शर्मा भी ब्राह्मण हैं। सूत्रों की मानें डॉली शर्मा को मजबूत प्रत्याशी आंका गया। लिहाजा गठबंधन को दोबारा अपना प्रत्याशी बदलना पड़ा।