गाजियाबाद देश की सुर्खियों का केंद्र रहा है। साल 2021 में किसानों ने यहां करीब एक साल तक दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन किया। गाजियाबाद जिला के नाम पर बॉलीवुड फिल्में भी बना चुका है। इस जिले के जन्म से पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाता रहा है। 14 नवंबर 1976 को यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने नेहरू के जन्मदिवस के मौके पर गाजियाबाद को जिला बनाने का फैसला किया था।
आजादी मिलने के बाद 1952 में पहली बार लोकसभा के चुनाव हुए। लेकिन गाजियाबाद के लोगों को 1957 में हापुड़ लोकसभा क्षेत्र के लिए अपना पहला सांसद चुनने का मौका मिला। कांग्रेस के कृष्णचंद शर्मा जीत दर्ज करके पहले सांसद बने। इसके बाद 1962 में कमला चौधरी कांग्रेस, 1967 में प्रकाशवीर शास्त्री निर्दलीय जीते। 1971 में बीपी मौर्य कांग्रेस, 1977 में कुंवर महमूद अली भारतीय लोकदल, 1980 में अनवर अहमद जनता पार्टी सेक्युलर, 1984 में केएनसिंह कांग्रेस, 1989 में केसी त्यागी जनता दल, 1991 से 99 तक चार बार बीजेपी की टिकट पर डॉ. रमेश चंद तोमर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे, जबकि 2004 में कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल ने जीत दर्ज की।
आजादी मिलने के बाद 1952 में पहली बार लोकसभा के चुनाव हुए। लेकिन गाजियाबाद के लोगों को 1957 में हापुड़ लोकसभा क्षेत्र के लिए अपना पहला सांसद चुनने का मौका मिला। कांग्रेस के कृष्णचंद शर्मा जीत दर्ज करके पहले सांसद बने। इसके बाद 1962 में कमला चौधरी कांग्रेस, 1967 में प्रकाशवीर शास्त्री निर्दलीय जीते। 1971 में बीपी मौर्य कांग्रेस, 1977 में कुंवर महमूद अली भारतीय लोकदल, 1980 में अनवर अहमद जनता पार्टी सेक्युलर, 1984 में केएनसिंह कांग्रेस, 1989 में केसी त्यागी जनता दल, 1991 से 99 तक चार बार बीजेपी की टिकट पर डॉ. रमेश चंद तोमर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे, जबकि 2004 में कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल ने जीत दर्ज की।
परिसीमन के बाद गाजियाबाद लोकसभा
2009 में परिसीमन हुआ। इसमें हापुड़ का कुछ हिस्सा मेरठ लोकसभा और कुछ भाग गाजियाबाद में आ गया। लोनी विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर गाजियाबाद लोकसभा सीट का गठन कर दिया गया। इस लोकसभा में 5 विधानसभा सीटें भी हैं- मुरादनगर, लोनी, साहिबाबाद, मोदीनगर और गाजियाबाद।
राजनाथ सिंह बने पहले सांसद
2009 में गाजियाबाद लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव हुआ। उस समय बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह यहां से चुनाव लड़े। उन्होंने उस समय के मौजूदा सांसद कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल को 90 हजार से अधिक वोटों से हराया।
2014 में मोदी लहर आई। राजनाथ सिंह अपनी सीट बदलकर लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला लिया। इसके बाद बीजेपी ने सेना से रिटायर्ड जनरल वीके सिंह को टिकट दिया। वीके सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवार और अभिनेता राजबब्बर को 5.67 लाख से भी अधिक मतों से चुनाव हराया।
2019 लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन था। बीजेपी ने एक बार फिर से वीके सिंह पर भरोसा जताया और उन्हें टिकट दिया। बीजेपी के वीके सिंह को 9 लाख 44 हजार 503 वोट मिले। वहीं, गठबंधन प्रत्याशी समाजवादी पार्टी सुरेश बंसल को 4,43,003 वोट मिले हैं। वीके सिंह ने करीब 5 लाख के अंतर से जीत दर्ज की।
हिंदू वोटर तय करते आए हैं जीत
गाजियाबाद लोकसभा की आबादी 50 लाख से ज्यादा है। यहां की करीब 70 फीसदी आबादी हिंदू है, जबकि करीब 25 फीसदी मुस्लिम आबादी है। दलित और मुस्लिम गाजियाबाद में काफी निर्णायक रहा है। जिले में ब्राह्मण, वैश्य, गुर्जर, ठाकुर, पंजाबी और यादव वोटर भी हैं।
क्या 2024 में बरकरार रहेगा बीजेपी का दबदबा?
2024 लोकसभा चुनाव को लेकर रणभेरी बज चुकी है। ऐसे में इस सीट पर नजर डालें तो अभी तक बीजेपी के प्रत्याशी जीतते आए हैं, लेकिन इस बार यहां के लोगों के मन में एंटी- इनकंबेंसी देखने को मिल रही है। देश और प्रदेश में बीजेपी की सरकार है। वहीं, विपक्ष लगातार बीजेपी पर हमलावर है।
गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, गुर्जर और मुस्लिम के वोटर काफी संख्या में हैं। बीजेपी और आरएलडी का गठबंधन है। ऐसे में बीजेपी को ब्राह्मण और गुर्जर वोट मिलने की अधिक संभावना है। हालांकि, अगर सपा को मुस्लिम वोटों के साथ ब्राह्मण, गुर्जर और दलित का वोट मिल जाता है तो बीजेपी को यह सीट जीतने में परेशानी हो सकती है।
कांग्रेस नेताओं का पहले रहा है जलवा
गाजियाबाद हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट पर बीजेपी का हमेशा से दबदबा रहा है। सपा और बसपा कभी भी गाजियाबाद लोकसभा सीट से चुनाव नहीं जीत पाई हैं। जबकि यह सीट पहले जब हापुड़ लोकसभा में आती थी। उस समय कांग्रेस की उपस्थिति हमेशा मजबूत रही। शुरुआती चुनावों में यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी ही चुनाव जीतकर संसद पहुंचते रहे।
ऐसे में आने वाले समय में पता चलेगा कि यहां की जनता एक बार फिर बीजेपी प्रत्याशी पर भरोसा करती है या अन्य दल को मौका देती है।
2009 में परिसीमन हुआ। इसमें हापुड़ का कुछ हिस्सा मेरठ लोकसभा और कुछ भाग गाजियाबाद में आ गया। लोनी विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर गाजियाबाद लोकसभा सीट का गठन कर दिया गया। इस लोकसभा में 5 विधानसभा सीटें भी हैं- मुरादनगर, लोनी, साहिबाबाद, मोदीनगर और गाजियाबाद।
राजनाथ सिंह बने पहले सांसद
2009 में गाजियाबाद लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव हुआ। उस समय बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह यहां से चुनाव लड़े। उन्होंने उस समय के मौजूदा सांसद कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल को 90 हजार से अधिक वोटों से हराया।
यह भी पढ़ें
कौन हैं भगवत सरन गंगवार, जिन्हें वरुण गांधी के खिलाफ अखिलेश यादव ने पीलीभीत से दिया टिकट
मोदी लहर में राजनाथ सिंह ने बदल ली लोकसभा सीट2014 में मोदी लहर आई। राजनाथ सिंह अपनी सीट बदलकर लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला लिया। इसके बाद बीजेपी ने सेना से रिटायर्ड जनरल वीके सिंह को टिकट दिया। वीके सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवार और अभिनेता राजबब्बर को 5.67 लाख से भी अधिक मतों से चुनाव हराया।
2019 लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन था। बीजेपी ने एक बार फिर से वीके सिंह पर भरोसा जताया और उन्हें टिकट दिया। बीजेपी के वीके सिंह को 9 लाख 44 हजार 503 वोट मिले। वहीं, गठबंधन प्रत्याशी समाजवादी पार्टी सुरेश बंसल को 4,43,003 वोट मिले हैं। वीके सिंह ने करीब 5 लाख के अंतर से जीत दर्ज की।
हिंदू वोटर तय करते आए हैं जीत
गाजियाबाद लोकसभा की आबादी 50 लाख से ज्यादा है। यहां की करीब 70 फीसदी आबादी हिंदू है, जबकि करीब 25 फीसदी मुस्लिम आबादी है। दलित और मुस्लिम गाजियाबाद में काफी निर्णायक रहा है। जिले में ब्राह्मण, वैश्य, गुर्जर, ठाकुर, पंजाबी और यादव वोटर भी हैं।
क्या 2024 में बरकरार रहेगा बीजेपी का दबदबा?
2024 लोकसभा चुनाव को लेकर रणभेरी बज चुकी है। ऐसे में इस सीट पर नजर डालें तो अभी तक बीजेपी के प्रत्याशी जीतते आए हैं, लेकिन इस बार यहां के लोगों के मन में एंटी- इनकंबेंसी देखने को मिल रही है। देश और प्रदेश में बीजेपी की सरकार है। वहीं, विपक्ष लगातार बीजेपी पर हमलावर है।
गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, गुर्जर और मुस्लिम के वोटर काफी संख्या में हैं। बीजेपी और आरएलडी का गठबंधन है। ऐसे में बीजेपी को ब्राह्मण और गुर्जर वोट मिलने की अधिक संभावना है। हालांकि, अगर सपा को मुस्लिम वोटों के साथ ब्राह्मण, गुर्जर और दलित का वोट मिल जाता है तो बीजेपी को यह सीट जीतने में परेशानी हो सकती है।
कांग्रेस नेताओं का पहले रहा है जलवा
गाजियाबाद हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट पर बीजेपी का हमेशा से दबदबा रहा है। सपा और बसपा कभी भी गाजियाबाद लोकसभा सीट से चुनाव नहीं जीत पाई हैं। जबकि यह सीट पहले जब हापुड़ लोकसभा में आती थी। उस समय कांग्रेस की उपस्थिति हमेशा मजबूत रही। शुरुआती चुनावों में यहां से कांग्रेस के प्रत्याशी ही चुनाव जीतकर संसद पहुंचते रहे।
ऐसे में आने वाले समय में पता चलेगा कि यहां की जनता एक बार फिर बीजेपी प्रत्याशी पर भरोसा करती है या अन्य दल को मौका देती है।