तीन दिन में देना होगा कारण बताओ नोटिस बता दें कि प्रदूषण रोकने के उद्देश्य से कृषि विभाग के अधिकारियों ने फसल कटाई से पहले ही प्रत्येक न्याय पंचायत, ब्लॉक एवं तहसील स्तर पर जनपद स्तरीय किसानों के साथ एक बैठक की। इस दौरान फसल कटाई के बचे अवशेषों को किस तरह से नष्ट किया जाए, इसके बारे में जानकारी दी गई। जानकारी को अन्य किसानों तक भी पहुंचाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। जिसके तहत राजस्व विभाग, कृषि विभाग अपशिष्ट जलाने वालों के विरुद्ध पर्यावरणीय को होने वाले नुकसान की वसूली के लिए संबंधित को 3 दिन के भीतर लेखपाल द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। तहसीलदार और नायब तहसीलदार सुनवाई करते हुए ऐसे लोगों पर जुर्माना लगाएंगे।
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लूडो खेलते-खेलते बिहार की युवती को दिल दे बैठा UP का युवक, भागकर मंदिर में रचाई शादी पराली जलाने के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए गाजियाबाद के डीएम राकेश कुमार सिंह ने बताया कि आमतौर पर इन दिनों में किसान अपनी फसल उठाने के बाद जो अवशेष बचते हैं। उन्हें खेत में ही जलाने का कार्य करते हैं। उससे प्रदूषण फैलता है और पर्यावरण को खासा नुकसान होता है। इसलिए इसे रोकने के उद्देश्य से जिले में पराली या फसल के अवशेष जलाने पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है। साथ ही इससे होने वाले नुकसान के बारे में भी किसानों को अवगत कराया जा चुका है। सभी संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को भी पराली जलाने वाले और फसल के अवशेष जलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
हर इलाके में पैनी नजर रखेगा मोबाइल स्क्वायड डीएम ने आगे बताया कि पराली जलाने से रोकने के लिए बाकायदा एक मोबाइल स्क्वायड का गठन किया गया है। इस मोबाइल स्क्वायड में उप जिलाधिकारी, पर्यवेक्षण अधिकारी, खंड विकास अधिकारी, कृषि विभाग के अधिकारी के साथ साथ गन्ना विभाग के अधिकारी और संबंधित थाने के प्रभारी सदस्य भी शामिल रहेंगे। ये सभी अधिकारी हर इलाके में भ्रमण कर इस बात पर पैनी नजर रखेंगे कि किस इलाके में पराली या फसल के अवशेष खेत में जलाए जा रहे हैं। जिला अधिकारी का कहना है कि प्रदूषण को फैलने से रोकने के लिए जिला प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ आम लोगों का सहयोग भी बहुत जरूरी है।