इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए गाजियाबाद के एसपी सिटी श्लोक कुमार ने बताया कि शाहजहांपुर के सेहरामऊ उत्तरी थाने के संबंधित शस्त्र लाइसेंस रजिस्टर वर्ष 2007 में गायब हो गया था। जिस के संबंध में फआईआर दर्ज कराई गई थी। उस समय के दस्तावेज उपस्थित न होने का फायदा उठाते हुए यह गैंग उसी दिनांक के फर्जी लाइसेंस बनाता था और उसे संविदा कर्मियों के साठगांठ से यूआईडी दिलवा देता था। उसके बाद वह अपने सही पते पर उक्त शस्त्र को दर्ज करवाते थे। उन्होंने बताया कि यह फर्जी शस्त्र लाइसेंस बना कर शस्त्र की खरीद-फरोख्त करते थे।
उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले के खुलासे में पाया गया है कि एक शस्त्र लाइसेंस बनवाने में 5 से 10 लाख लिए जाते थे। जिसमे शस्त्र भी शामिल था। यानी यह गैंग शस्त्र का लाइसेंस बनवाने से लेकर उन्हें हथियार दिलवाने तक का पूरा ठेका लिया करता था। ग्राहकों की संतुष्टि के लिए शस्त्र लाइसेंस लेने का फार्म भरकर आधार कार्ड पैन कार्ड की फोटो कॉपी तथा फोटो ले लिया करते थे। शस्त्र लाइसेंस 15 दिन में बनवा कर देने की बात कहते हुए कुछ पैसे एडवांस में भी ले लिया करते थे। एसपी सिटी ने बताया कि सभी को गिरफ्तार किए गए सभी लोग गाजियाबाद के निवासी हैं। जिनके द्वारा जनपद शाहजहांपुर से फर्जी तरह से शस्त्र लाइसेंस बनवाया गया था। उन्होंने बताया कि सभी के पास से फर्जी कागज के आधार पर खरीदे गए हथियार भी बरामद कर लिए गए हैं। अभी गहनता से जांच की जा रही है कि इस पूरे मामले में कितने लोग और शामिल है उन्हें भी जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।