ट्रांसफर अर्जी पर कार्य करते हुए ये बात सामने आई कि लाइसेंस नम्बर ऑनलाइन मैच नहीं कर रहा है। जिसकी जानकारी गाजियाबाद प्रशासन ने शाहजहांपुर प्रशासन को दी। साथ ही अपने स्तर पर भी जांच शुरू कर दी। इस दौरान पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया जो शाहजहांपुर में एक संविदा कर्मी जिस पर असलाह बाबू का चार्ज है। उसकी मिली भगत से फर्जी तरीके से लाइसेंस बनाने का काम करता जा रहा था।
बताया जा रहा है कि 2007 में शाहजहांपुर के एक थाने से लाइसेंस रजिस्टर गायब हो गया था। जिसका फायदा उठाकर ये लोग फर्जी लाइसेंस बनवा रहे थे और संविदा कर्मी की मदद से यूनिक आईडी बनवा देते थे। पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि एक लाइसेंस के लिए 2 से 5 लाख रुपये लिया जाता था। जिसमें शास्त्र भी शामिल होता था।
गिरहों के मुखिया ने बताया कि बिना किसी पुलिस वेरिफिकेशन और फर्जी सिग्नेचर से लाइसेंस बनाये जा रहे थे जिनकी जानकारी शास्त्र धारक को नहीं होती थी। मीडिया को जानकारी देते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आरोपी फुरकान, संजय, विनोद, हरिशंकर, सदानंद के कब्जे से 5 असलाह, एक कार और 17 शास्त्र लाइसेंस की छायाप्रति बरामद हुई है। अभी फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है। जिनकी गिरफ्तारी के बाद ओर भी कई खुलासे हो सकते हैं।