इस केस में पुलिस वालों ने जो हरकत की वह पूरी तरह गैरकानूनी है। किसी भी गुमशुदा की लताश या किसी आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को दूसरे शहर और राज्यों में जाने की स्थिति में सारा खर्च पुलिस विभाग की ओर से दिया जाता है। इस संबंध में जब पुलिसकर्मियों से बात की गई तो उन्होंने भी कहा कि अगर केस के संबंध में आईओ या अन्य पुलिसकर्मी को किसी अन्य राज्य या जिले में जाना होता है तो इसकी सूचना फौरन अधिकारियों को दी जाती है और इसके बाद निकला जाता है। इस दौरान होने वाले खर्च पुलिस कर्मियों के पद के हिसाब से फॉर्म भरकर विभाग से लिया जा सकता है। यानी इस प्रकार के किसी भी सर्च अभियान में पीड़ितों से एक भी पैसा लेने को कोई प्रावधान नहीं है। ऐसा करना पूरी तरह गलत है।
यह है पूरा मामला
गौरतलब है कि खोड़ा कॉलोनी में रहने वाले पीड़ित पिता नोएडा की एक एक्सपोर्ट कंपनी में काम करते हैं। उनके मुताबिक उनकी मासिक आय तकरीबन 10 हजार रुपअ प्रति महीना है। उन्होंने बताया कि मेरी 16 साल की बेटी को स्पाइन की बीमार थी। इस वजह से डॉक्टर ने उसे कुछ देर चलने की सलाह दी थी। इसी लिए 11 सितंबर को वह मुहल्ले में रहने वाले कुछ बच्चों के साथ बाहर टहलने गई थी, लेकिन कुछ देर बाद सभी बच्चे घर लौट आए, लेकिन वह नहीं आई। वहीं, बच्चों ने भी उसकी जानकारी होने से मना कर दिया। इसके बाद परिवार वालों ने जब उसे ढूंढ़ते हुए आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज को चेक किया तो किशोरी एक युवक की बाइक पर बैठी दिखाई दी। इसके बाद परिनों ने फौरन खोड़ा पुलिस को मामले की शिकायत दी। परिजनों ने पुलिस पर सीसीटीवी फुटेज होने के बाद भी काम नहीं करने का आरोप लगाया है।