गाज़ियाबाद

छेड़छाड़ पीड़िता दलित किशोरी की पुलिस ने नहीं लिखी रिपोर्ट तो अदालत से लगाई गुहार

दलित किशोरी के साथ इंदिरापुरम इलाके में दुराचार का किया गया थी प्रयास

गाज़ियाबादOct 02, 2018 / 07:58 pm

Iftekhar

छेड़छाड़ पीड़िता दलित किशोरी की पुलिस ने नहीं लिखी रिपोर्ट तो अदालत से लगाई गुहार

गाजियाबाद. उत्तर प्रदेश में छेड़छाड़ पीड़िता की सुनवाई नहीं होने से लगातार आत्महत्या की खबरें आती रहती है, लेकिन इस तरह की घटनाओं के बाद भी पुलिस वालों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती है। ऐसा ही एक मामला गाजियाबाद के इंदिरापुरम का सामने आया है। यहां छेड़छाड़ पीड़िता ने जब पुलिस में आरोपी के खिलाफ शिकायत की तो उसने उनके आरोपों को एफआईआर में शामिल करने से इनकार कर दिया। इससे त्रस्त होकर पीड़ित की मां ने कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई है।

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दरअसल, यह पूरा मामला 23 सितंबर का है। गाज़ियाबाद के इंदिरापुरम में गरीब दलित किशोरी के साथ हुई मारपीट और हैवानियत के मामले में पुलिस की खाकी दागदार होती नजर आ रही है। पीड़िता के मुताबिक 23 सितंबर को जब उसकी माँ कपड़े प्रेस कर रही थी, तभी सोसायटी के RWA के सदस्य वहां आये और माँ से जातिसूचक शब्द कहते हुए उसकी नाबालिग़ बेटी को दबोच लिया। इसके बाद आरोपी बच्ची को टिन शेड में खींचकर ले गया और वहां उसके साथ दुराचार करने की कोशिश की । ये हैवानियत देखकर बच्ची की मां ने विरोध किया और शोर मचा दिया ।इसके बाद सोसायटी की भीड़ जमा हो गयी और आरोपी फरार हो गया। जाते-जाते आरोपी धमकी दे गए कि आज के शोर मचाने का खामिजाय तुझे भुगतना होगा । इन वहशियों के चंगुल से बाल -बाल बची मासूम ने बताया उसने अपनी इज्जत तो बचा ली, मगर उन वेहशियों ने उनका घर उजाड़ दिया ।

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इस मामले में खास बात ये है कि थाना इंदिरापुरम से इंस्पेक्टर भी मौके पर पहुंचे थे। इस दौरान पीड़ितों ने उनसे सारी घटना बताई, मगर उन्होंने उनकी लिखी ऐप्लिकेशन में गम्भीर आरोप वाली बात लिखने से मना कर दिया। इस से दुखी होकर अब इन पीड़ितों ने कोर्ट की शरण में जाकर अपने लिए न्याय की गुहार लगाई है। इनका केस न्यायालय में फ़ाइल होने के बाद न्यायालय ने सुनवाई के लिए 17 अक्टूबर की तारीख़ तय की है ।

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इन्दरापुरम थाने से मांगी रिपोर्ट
इस पूरे मामले में पीड़िता के अधिवक्ता उमेश भारद्वाज ने बताया कि बीती 23 सितंबर को वार्ता लोक अपार्टमेंट में पीड़ित परिवार के साथ काफी अभद्रता की गई थी और उसका सामान भी फेंका गया था। उनके साथ मारपीट की गई थी । बाद में फिर 2 दिन पहले पीड़िता की लड़की पढ़ाई कर रही थी, तभी अचानक कालोनी में ही रहने वाले करीब चार पांच लड़के पीड़िता के पास पहुंचे। जहां पर उन्होंने पीड़िता को जातिसूचक शब्द कहते हुए उसके साथ दुराचार करने का प्रयास किया, लेकिन पीड़िता द्वारा शोर मचाया गया, जिसके बाद वह लोग वहां से भागने में कामयाब हो गए। ये लोग जाते-जाते उन्हें अंजाम भुगत के लिए तैयार रहने की धमकी भी दे गए। अधिवक्ता ने बताया कि पीड़ित परिवार द्वारा पुलिस भी बुलाई गई और इसकी शिकायत थाना इंदिरापुरम में भी की गई, लेकिन पीड़ित परिवार का आरोप है कि एसएचओ इंदिरापुरम द्वारा दुराचार किए जाने के प्रयास जैसी बातें लिखाने से मना कर दिया, जिसके बाद अब पीड़ित परिवार द्वारा न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया है। उधर इस पूरे मामले में इंस्पेक्टर इंदिरापुरम सचिन मलिक का कहना है कि उनके ऊपर लगाए गए यह आरोप निराधार है। मामला 23 सितंबर को संज्ञान में आया था, जिसके आधार पर मामले की जांच की जा रही है।

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