दरअसल, करीब 55 वर्षीय राजीव त्यागी सभी के बेहद प्रिय नेता थे और राजीव गांधी के भी परम मित्र रहे थे। गांधी परिवार से उनका शुरू से ही अटूट रिश्ता रहा है । गांधी परिवार के दुख सुख में हमेशा खड़े रहने वाले राजीव त्यागी गांधी परिवार के भी बेहद करीब और प्रिय थे और उनकी काबिलियत देखते हुए पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया। जिस वक्त वह डिबेट में बैठते थे। तो विपक्षी भी उनके द्वारा कही बात को वजन देते थे।
इतना ही नहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जब भी कॉन्ग्रेस की नैया डूबती हुई दिखाई दी तो उसे उबारने का काम राजीव त्यागी ने ही किया था और अब दोबारा से गाजियाबाद में ही नहीं बल्कि संपूर्ण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को उभारने में लगे हुए थे। राजीव के निधन के बाद गाजियाबाद के लोगों को भी गहरा सदमा पहुंचा है और सभी सकते में हैं। क्योंकि वह खुद बेहद हष्ट पुष्ट थे। वह अपने इतने बिजी शेड्यूल होने के बाद भी हमेशा व्यायाम करते थे और सुबह मॉर्निंग वॉक भी वह अवश्य करते थे।
त्यागी बेहद मिलनसार थे और वह विपक्षी दल के नेताओं के यहां भी आते जाते थे। लेकिन जब राजनीति की बात आती थी। तो वह अपने सिद्धांतों पर अटल रहते थे। राजीव त्यागी हर साल अपने आम के बाग के कई तरह की किस्म के आम की पार्टी अपने मित्रों को अक्सर देते थे । इस बार भी उनके द्वारा अपने सभी मित्रों को आम की पार्टी दी थी।