ढांचा गिराने में शिवसेना की अहम भूमिका शिव सेना के उपराज्य प्रमुख महेश आहुजा ने कहा कि 6 दिसम्बर 1992 को विहिप के आहवाहन पर विवादित ढांचे को गिराया गया था। इसमें शिवसेना की भी अहम भूमिका थी। बीजेपी सरकार ने देश की जनता से वादा किया था कि सरकार आने के बाद वहां मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। इसलिए, पीएम मोदी से वहां पर राम मंदिर बनवाए जाने की मांग की जाती है। उनका कहना था कि वाराणसी और मथुरा में भी कृष्ण जन्मभूमि को भी मुक्त किए जाना चाहिए। प्रदर्शन के दौरान शिव सेना विनित चैधरी, राकेश त्यागी, विक्रम बिस्ट, विनोद भारती, बादल चैधरी, प्रमोद शिवराज, दीपक हल्दौआ, राजू भारती, प्रशांत राठी, प्रवीण गुप्ता, शिवकुमार शर्मा समेत कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
हिन्दू संगठन को बंद कराने की मांग उधर, औवसी की ऑल इंडिया मजलिस पार्टी के लोगों ने विवादित ढांचे की बरसी पर आज कलेक्ट्रेट में विरोध प्रदर्शन किया और अपनी मांगो के संबंध में राष्ट्रपति के नाम डीएम को ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारियों ने तमाम आरएसएस, बजरंग दल, हिन्दू युवा वाहिनी, शिवसेना, हिंदू महासभा समेत हिंदू संगठनों पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की। इसके अलावा विवादित जगह को मुस्लिम समाज के हवाले किए जाने की मांग की। इस मौके पर संगठन के तमाम पदाधिकारी मौजूद रहे। इधर, प्रदर्शनकारियों के चले जाने के बाद प्रशासन और पुलिस ने राहत की सांस ली।