UIDAI ने अपने बयान में कहा कि दूरसंचार कंपनियों के अलावा अन्य सत्यापन एजेंसियां के लिए चेहरा मिलान की सुविधा के क्रियान्वयन के लिए कहा जाएगा। हालांकि, अभी इस बारे में कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है और न ही प्राधिकरण ने इसके लिए कोई समयसीमा ही तय की है। इस मामले में खास बात ये है कि UIDAI ने कहा है कि लाइव फेस फोटो और ई-केवाईसी के दौरान निकाली गई तस्वीर का मिलान उन मामलों में ज़रूरी होगा, जिनमें मोबाइल सिम जारी करने के लिए आधार का इस्तेमाल किया जा रहा है।
यूआईडीएआई ने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा है कि ये कदम फिंगरप्रिंट में गड़बड़ी की संभावना रोकने या उसकी क्लोनिंग रोकने के लिए उठाया गया है। यूआईडीएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय भूषण पांडे ने कहा कि इससे मोबाइल सिम जारी करने और उसे एक्टिव करने की ऑडिट प्रक्रिया और सुरक्षा को मज़बूती मिलेगी। यूआईडीएआई की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक 15 सितंबर से दूरसंचार सेवा कंपनियों के लिए महीने में कम से कम 10 फीसदी सत्यापन चेहरे का लाइव फोटो से मिलान करके करना अनिवार्य होगा।
UIDAI के सीईओ अजय भूषण पांडे ने बताया कि लाइव फेस फोटो को ई-केवाईसी फोटो से मिलाने का निर्देश सिर्फ उन्हीं मामलों में आवश्यक किया गया है, जिनमें सिम जारी करने के लिए आधार का इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर आधार के अलावा किसी दूसरे तरीके से दूरसंचार कंपनियों की ओर से सिम जारी किया जाता है, तो ये निर्देश लागू नहीं होंगे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सिम के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया था। इसका मतलब ये हुआ कि सिम खरीदने वाले सभी ग्राहकों को अब आमने-सामने चेहरे का मिलान किया जाएगा।