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मालूम हो कि मूलरूप से अलीगढ़ के नया गांव निवासी सब इंस्पेक्टर विजय कुमार ठेनुआ (42) मंगलवार को नाइट ड्यूटी करने के बाद सुबह चार बजे थाने के स्टाफ क्वार्टर में लौटे थे। सुबह करीब 6 बजे तनाव में आकर सर्विस रिवाल्वर से कनपटी पर गोली मार ली थी। इनपर आरोप था कि मथुरा की कृष्णा नगर कालोनी में रहने वाले एक युवक पर जानलेवा हमला कर बवाल किया था। जिसकी वजह से ये डिप्रेशन में चल रहे थे। परिजनों की माने तो ये डिप्रेशन की गोली भी खाते थे। डयूटी का रहता है दवाब पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर ड्यूटी व कानून व्यवस्था बनाए रखने, अपराध नियंत्रण और मुकदमों की विवेचनाओं का बोझ अधिक होता है। डयूटी और विवेचनाओं के बोझ से परेशान होकर पुलिसकर्मी मौत को गले लगा रहे हैं। बताया गया है कि दरोगा विजय कुमार ठेनुआ पर भी 100 से अधिक केसों की विवेचनाएं कर रहे थे।
नहीं मिलती थी छूट्टी सब इंस्पेक्टर ओपी यादव ने बताया कि पुलिसकर्मियोंं पर विवेचनाओं का प्रेशर अधिक रहता है। लिखा-पढ़ी के अलावा कोर्ट कचहरी जाना लगा रहता है। साथ ही विवेचनाओं को लेकर अफसरों का भी दवाब रहता है। टाइम पर विवेचना पूरी न होने पर फटकार भी झेलनी पड़ती है। वहीं छूट्टी भी नहीं मिल पाती है। परिवार के बीच में कभी-कभार की त्यौहार मनाने का मौका मिलता है। उन्होंने बताया कि सालभर में 30 पीएल और 30 ईएल मिलती है। सालभर में 25 छूट्टी भी नहीं कर पाते है। इसकी वजह से भी पुलिसकर्मी अक्सर डिप्रेशन में रहते है। सुत्रो की माने तो डिप्रेशन के शिकार पुलिसकमीर् आत्महत्या कर लेते है। पहले भी आत्महत्या करने के मामले सामने आ चुके है।