scriptसीवर में 5 सफाई कर्मियों की मौत का मामला: पैसे नहीं होने के कारण रक्षाबंधन पर भी नहीं गए थे घर | workers did not go home even on Rakshabandhan due to no money | Patrika News

सीवर में 5 सफाई कर्मियों की मौत का मामला: पैसे नहीं होने के कारण रक्षाबंधन पर भी नहीं गए थे घर

locationगाज़ियाबादPublished: Aug 25, 2019 11:14:10 am

Submitted by:

lokesh verma

खबर की खास बातें-

4 महीने पहले रोजी-रोटी के लिए बिहार से गाजियाबाद आए थे मजदूर
ठेकेदार कंपनी व जल निगम की लापरवाही से तबाह हुए पांच परिवार
गाजियाबाद में सीवर की सफाई के दौरान पांच मजदूरों की मौत का मामला

गाजियाबाद. सीवर हादसे में पांच मजदूरों की मौत के मामले भले ही योगी आदित्यनाथ सरकार ने मुआवजा देकर इतिश्री कर ली हो, लेकिन अब उनके परिवारों की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। बता दें गाजियाबाद में सीवर की सफाई के दौरान दम घुटने से पांच मजदूरों की मौत हो गई थी। इनमें से चार मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में बिहार से गाजियाबाद आए थे। आर्थिक तंगी से परेशान होकर समस्तीपुर के रहने वाले होरिल, दामोदर, संदीप और शिवकुमार ने घर छोड़ा था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि जिस परिवार को पालने के लिए वह घर छोड़ रहे हैं, उस परिवार के सिर से उनका साया उठ जाएगा। बताया जा रहा है कि इनके सामने पैसे का इतना संकट था कि वह रक्षाबंधन पर घर भी नहीं गए थे।
गाजियाबाद में हुआ सीवर लाइन हादसा पांच परिवारों पर ऐसा कहर बनकर टूटा है, जिसका दर्द उनके परिवारों को जिंदगीभर सालता रहेगा। ये मजदूर आर्थिक तंगी से इस कदर त्रस्त थे कि मजदूरी करने के बाद गाजियाबाद में रहने के लिए एक किराए का कमरा भी नहीं लिया था। किराया बचाने के सभी बंद पड़ी मस्कॉट फैक्ट्री में ही रहते थे और भीषण गर्मी में भी बिना पंखा-कूलर के ही सोते थे, ताकि उनके परिवार के आर्थिक हालात में कुछ सुधार हो सके, लेकिन ठेकेदार कंपनी व जल निगम की लापरवाही ने इनके परिवार को तबाह कर दिया है।
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मृतक मजदूरों के साथ ही रहने वाले एक मजदूर बिंदू ने नम आंखों से बताया कि इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए बिहार के समस्तीपुर से 40 और मजदूर गाजियाबाद आए थे। रक्षाबंधन पर सभी लोग तो समस्तीपुर चले गए, लेकिन मेरे साथ संदीप, होरिल, दामोदर और शिवकुमार नहीं जा सके। उन्होंने बताया कि हम भी जाने वाले थे, लेकिन लेकिन ठेकेदार ने मजदूरी नहीं दी। इसलिए पहली बार वे लोग रक्षाबंधन पर घर नहीं जा सके। क्योंकि ठेकेदार ने सीवर लाइन का कार्य समाप्त होने के बाद ही मजदूरी देने की बात कही थी।
पांच बेटियों के सिर से उठ गया पिता का साया

बिंदू ने रोते हुए कहा कि इस हादसे में जान गंवाने वाले दामोदर के माता-पिता का निधन हो चुका है। उसके परिवार में पत्नी के साथ पांच बेटियां भी हैं। दामोदर चाहता था कि वह अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा देगा, ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके। इसी वजह से काम में जी तोड़ मेहनत करता था। वह चार माह पहले ही गाजियाबाद आया था। तब से घर नहीं गया था। बिंदू ने नम आंखों से बताया कि वह भी मृतकों के साथ ही काम करता था। गुरुवार को उन्हें बुखार था, लेकिन ठेकेदार ने काम पर आने की जिद की। तबीयत ठीक नहीं होने के कारण वह काम पर नहीं गए, इसलिए उनकी जान बच गई।
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कहता था बेटे के लिए ले जाऊंगा बहुत सारे खिलौने

वहीं एक अन्य मजदूर लालटून ने बताया कि समस्तीपुर से आए संजीव की शादी 3 वर्ष पहले ही हुई थी। संजीव का एक एक साल का बेटा भी है। वह अक्सर शाम को काम से लौटने के बाद अपने बेटे की ही चर्चा करता रहता था। वह कहता था कि जब घर जाऊंगा तो उसके लिए बहुत सारे खिलौने लेकर जाऊंगा। लालटून ने बताया कि होरिल सदा के परिवार में उसके 4 बच्चों के साथ बुजुर्ग माता-पिता भी हैं। पूरे परिवार की देखभाल उसी कंधे पर थी। वहीं ठेकेदार विजय कुमार के भी तीन लड़के और एक लड़की है।

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