आपको बताते चलें कि गाजियाबाद के डासना स्थित प्राचीन देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती पिछले काफी समय से इस मंदिर में महंत है और हमेशा अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चाओं में रहते हैं। खासतौर से शुरू से ही इनकी धारणा हिंदूवादी रही है। महामंडलेश्वर का कहना है कि इन्हें कई बार जान से मारने की धमकी भी मिल चुकी है, क्योंकि देवी के प्राचीन मंदिर के आसपास विशेष समुदाय के लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है। उसके लिए उन्होंने मंदिर के गेट पर ही एक बड़ा बोर्ड लगाया हुआ है कि विशेष समुदाय के लोगों का मंदिर परिसर में प्रवेश वर्जित है। इस बात को लेकर भी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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आगरा में महिला ने क्यों ले ली जिंदा भू-समाधि ? जानिये यहाँ… उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय विधायक विशेष समुदाय का होने के कारण मंदिर के गेट पर इस तरह लिखा जाना विधायक को नागवार गुजरा और उन्हें धमकी भी दी गई थी। बहरहाल इन तमाम मुद्दों को लेकर कई बार वह साधु-संतों की संगत को लेकर अकेले महसूस कर रहे थे, लेकिन अब इन्हें जूना अखाड़े में शामिल ही नहीं किया गया, बल्कि महामंडलेश्वर भी बना दिया गया है। अब महंत यती नरसिंहानंद गिरी महामंडलेश्वर काफी मजबूत स्थिति में आ गए हैं। क्योंकि जूना अखाड़ा को साधुओं के बड़े संगठन का अखाड़ा माना जाता है।
गाजियाबाद के प्रसिद्ध भगवान दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर के महंत नारायण गिरी महाराज ने विस्तार से दी है। वहीं, दूसरी तरफ महंत यति नरसिंह आनंद गिरि महाराज ने भी जूना अखाड़े में शामिल किए जाने पर कोटि-कोटि आभार जताया है। उन्होंने विधि विधान से जुने अखाड़े के द्वारा पट्टा अभिषेक के दौरान संकल्प लिया है कि वह जीवनभर जूना अखाड़े के सभी नियमों का पालन करते हुए हिंदू धर्म की रक्षा में ही रहेंगे। उन्होंने इस दौरान कहा कि यदि उनकी मौत भी होती है तो हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए हो।