गांव में बिरहा सुनने पहुंचे लोगों को ये एहसास भी नहीं था कि उनके साथ क्या होने वाला है। पिपनार गांव में हर साल की तरह इस साल भी मां काली की पूजा का आयोजन हुआ। वहां बिरहा कार्यक्रम भी रखा गया था, जिसे सुनने के लिये दो से तीन सौ लोग गए थे। रात भर बिरहा का खूब आनंद उठाया और घर चले गए। पर जब सुबह उठे तो सबकुछ अंधेरा। गांव के 50 लोगों की आंखों से कुछ दिखायी ही नहीं दे रहा था। आंखों में असहनीय दर्द से लोग तड़प उठे। गांव में यह बात जंगल की आग की तरह फैल गयी कि बिरहा सुनकर लौटे लोगों की आंखों की रोशनी चली गयी। फिर तो हड़कम्प मच गया।
तत्काल स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची और लोगों की आंखों की जांच शुरू की। तो पता चला कि इन लोगों की आंखें सूज जाने के चलते खुल नहीं रही थीं। किसी की आंखें लाल थीं तो किसी की सूजी हुई। सीएमओ गिरीश चन्द्र मौर्य ने बताया कि घटना की सूचना के बाद डॉक्टरों की कई टीमें भेजी गयीं। प्रभावित लोगों की आंखों में दवा डाली गयी और करीब तीन घंटे से ज्यादा उनकी निगरानी खुद डॉक्टरों ने की। रविवार को फिर टीम भेजी गयी है। मदरह पीएचसी चिकित्सक छांगुर राम के मुताबिक लोगों के बैठने के लिये पानी भरकर जोते गए खेत में पुआल रखकर उस पर दरी बिछायी गयी थी। इसके अलावा तेज लाइटें लगाई गई थीं। जमीन पर बैठकर बिरहा सुन रहे लोगों को इन्फेक्शन हो गया।
By Alok Tripathi