उन्होंने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि संसद को कानून बनाने का अधिकार है। सरकार को बिल लाने का अधिकार है, लेकिन शर्त ये है कि वह संविधान की भावना के विपरीत न हो। ऐसा बिल आजाद भारत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
कहा कि आज तक कहा जाता था कि न तो दंगाइयों की कोई कौम होती है और न अपराधियों की कोई जाति। लेकिन यह बिल इस मूल भावना से बिलकुल अलग है। हम इस बिल के माध्यम से उस राह पर जा रहे हैं जहां घुसपैठ करने वालों को जाति-धर्म के आधार पर बांट रहे हैं। सबूत न दे पाने पर मुसलमानों को भारत में घुसपैठिया माना जाएगा, जबकि दूसरे धर्म के घुसपैठिये भी नागरिक होंगे। एक को माला पहनाई जाएगी, जबकि दूसरे को सजा मिलेगी।
उन्होंने कहा कि हम इसका डटकर विरोध करेंगे और देश की जनता भी इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं। दावा किया किया कि ये सब असल मुद्दों से भटकाने के लिये किया जा रहा है। प्याज, लहसुन से लेकर डिजल-पेट्रोल तक के दामों में आग लगी हुई है, जीडीपी गिर रही है, सरकारी तेल कंपनियों से लेकर एयर इंडिया और बीएसएनएल बिक रहा है। कानून की दुर्दशा है और अराजकता चरम पर है। इन मुद्दों से ध्यान हटाने के लिये ये बिल लाकर देश में को नयी बहस में धकेलना चाहते हैं, जिसे जनता स्वीकार करने वाली नहीं।
By Alok Tripathi