अजय अपनी इच्छा से हर रोज लोगों की मदद करते हैं। यहां तक की मरीजों के दवा से लेकर हर खर्च को अजय अपने पास से वहन करते हैं। चिकित्सक से लगायत घर- परिवार से संघर्ष कर लोगों की नि:शुल्क मदद करने का काम करते हैं। वहीं गरीबों की मदद के लिए कभी-कभी अधिकारियों से भी भिड़ जाते हैं।
कड़ाके की ठंड में बेसहारों के बने सहारा
इस हाड़ कंपा देने वाली ठंड में अजय उर्फ डब्बू गरीबों में कम्बल बांटते नजर आएं। इस ठंड में गरीबों के लिए जिलाप्रशासन की तरफ से न तो अलाव की व्यवस्था की गई और न ही कम्बल की। लेकिन सड़क के किनारे कांपते बेसहारों को कम्बल उढ़ा के उन्हें थोड़ी राहत दी। अजय से गरीबों के लिए हर सम्भव मदद करते हैं।
एक दशक से कर रहे गरीबों की मदद, लोगों के लिए मिशाल हैं डब्बू
अजय लगभग 10 वर्षों से गरीबों की मदद कर रहे हैं और ये इनकी सेवा करके बहुत खुश रहते हैं। ये मानव उत्थान के लिए कार्य करने वाली एक संस्था मानव सेवा संघ के सचिव के रूप में जीवनपर्यंत मनुष्य की सेवा का संकल्प लिए हैं। डब्बू का जीवन यापन बूढ़े पिता के पेंशन से होता है। अजय खुद बेरोजगार हैं अपने मित्रों और संस्था के नाम पर दानदाताओं से मिले धन को लेकर कंबल खरीदते हैं फिर सर्द रातों में मोटरसाइकिल पर बैठ शहर में घूम-घूमकर जरूरतमंदों को बांट देते हैं। ऐसी सर्द रातों में जब सर्दी हाड़ कंपाने पर आमादा हो और ज्यादातर लोग अपने घरों में रूम हीटर में चैन की सांस ले रहे होते हैं लेकिन अजय उर्फ डब्बू अपनी मोटरसाइकिल पर किसी गरीब की खोज में शहर में घूमते हैं। डब्बू मानवता की सेवा करने वाले उन लोगों के लिए एक जिंदा मिसाल हैं जो छोटे स्तर पर ही सही किसी एक गरीब के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की इच्छा रखते हैं।