बतादें कि गाजीपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की जगह मरीजों की जांच कंपाउंडर कर रहे हैं और सफाईकर्मी इंजेक्शन लगा रहे हैं। इतना ही नहीं सफाईकर्मी पेनकिलर इंजेक्शन लगाकर बिना सुन्न किए मरीज को टांका भी लगा रहे हैं। इस बात की सूचना जब सीएमएस को दी गई तो उन्होंने जानकारी न होने की बात कही और पूरे मामले की जांच कराने को कहा।
मरीजों को सफाईकर्मी लगाता है टांका सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं के हालातों को जायजा लेने के लिए पत्रिका की टीम गाजीपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो अस्पताल का नजारा हैरान कर देने वाला था। मरीजों का इलाज डॉक्टरों की बजाए सफाईकर्मी कर रहे हैं। इतना ही नहीं मरीजों को टांका लगाने का 90 रूपये शुल्क लिया जाता है और बिना सुन्न किए स्वीपर टांका लगाता है। यहां तक की दवा भी डॉक्टर बाजार से लाने के लिए पर्ची लिखते हैं। मरीजों से कहा जाता है कि अस्पताल में दवा उपलब्ध नहीं है। मरीज से एक रुपये की जगह दो रुपये लिए जाते है।
अस्पताल में नहीं है सुविधाएं अस्पताल के सारे हैंडपम्प खराब पड़े हैं तथा वार्डों में बिजली के कनेक्शन दुरुस्त नहीं हैं। यहां रातों में अंधेरा छाया रहता है। वही हाल जच्चा-बच्चा केंद्र का है। रात में डिलेवरी के लिए केंद्र पर आने के बाद दवा के लिए परिवार के सदस्य मेडिकल स्टोर पर भटकते नजर आते हैं।
नंदगंज का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जहां आसपास के कई गांव के लोग इलाज हेतु आते हैं पर यहां मरीजों की देखभाल और उनका इलाज किस प्रकार किया जाता है ये एक वायरल वीडियो से स्पष्ट हो गया। इस वीडियो में एक सफाईकर्मी मरीजों को इंजेक्शन लगाते नजर आ रहा है साथ ही मरीजों को टांका भी लगा रहा है। इस स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों की जान से किस प्रकार से खिलवाड़ किया जा रहा है ये स्पष्ट देखा जा सकता है पर इससे बड़ी हैरानी की बात ये दिखती है कि इस अस्पताल में तैनात डॉक्टर जिनके ऊपर मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी है और जिसे अस्पताल का सफाई कर्मचारी निभा रहा है, तो इन्होंने इस बात को बेहद हल्के में लेते हुए मुस्कुराहट के साथ कहा कि लगा दिया होगा इंजेक्शन। जब उनसे पूछा गया कि तो क्या आपके अस्पताल में सफाईकर्मी को इंजेक्शन और टांका लगाने की इजाजत है तब उन्हें सम्भवतया मामले की गंभीरता समझ में आयी और कहा कि मामला संज्ञान में आया है और कार्यवाही की जायेगी।