इस मामले में बृजेश सिंह, त्रिभुवन सिंह के खिलाफ भांवरकोल थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। इस केस के जगरनाथ सिंह मुख्य गवाह थे। जिनकी मृत्यु हो गयी है। इस मामले में कई अन्य गवाह भी मुकर गए थे। बृजेश की तरफ से बचाव पक्ष ने वारदात के समय उन्हें नाबालिग बताया था। आठवीं और हाईस्कूल के प्रमाणपत्र से इसे साबित करने की कोशिश भी की गयी थी।
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मंगलवार को फैसले की सुनवाई के दौरान बाहुबली एमएलसी बृजेश सिंह और त्रिभुवन मौजूद रहे। जेल ही अभियुक्तों के शिनाख्त की कार्रवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई। 27 साल बाद आये फैसले से बृजेश खेमे में ख़ुशी की लहर दौड़ गई, वहीं विरोधी खेमे में निराशा है। यह भी पढ़ें
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यह है पूरा मामला 2 मई 1991 को अफजाल अंसारी चुनाव प्रचार कर करीब 9:30 बजे रात को मुहम्मदाबाद वापस लौट रहे थे कि कुंडेसर चट्टी पर उनकी जीप खराब हो गयी वह पानी लेने के लिए उतरे, तभी पीछे से आ रही मारूति कार में सवार पांच लोगों ने स्वचालित असलहों से जीप पर गोलियों को बौछार कर दी। जिससे घटना स्थल पर सुरेंद्र राय, कमला सिंह व झिंगुरी गुप्ता की मौत हो गयी व कामेश्वर राय, दीनानाथ राय व कैप्टन जगरनाथ गंभीर रुप से घायल हो गये। पुलिस मुकदमा दर्ज कर घटना की छानबीन में लग गयी। करीब एक महीना चार दिन बाद तफ्तीश के दौरान माफिया डान बृजेश सिंह व त्रिभुवन सिंह आदि को इस हत्याकांड में मुल्जिम बनाया। इलाज के दौरान रामेश्वर राय की मौत हो गयी। 27 वर्ष अदालत की कार्रवाई के बाद मंगलवार को अपर सत्र न्यायाधीश ने साक्ष्य के अभाव में बृजेश सिंह व त्रिभुवन सिंह को दोष मुक्त कर दिया। BY- ALOK TRIPATHI