जंगीपुर नगर पंचायत के नगर अध्यक्ष ने विकास के नाम पर और सफाई कर्मचारियों के एरियर के नाम पर करोड़ों रूपए का घोटाला कर डाला है। जिसको लेकर आमजन में काफी नाराजगी देखने के मिली। जनपद गाजीपुर का जंगीपुर विधानसभा जिसका अस्तित्व पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान आया था। उसी विधानसभा की इकलौती नगरपंचायत जंगीपुर है।
5 साल से घोटाला कर रहा बीएसपी का यह नेता
जहां से बहुजन समाज पार्टी के टिकट से सत्यनारायन गुप्ता विजयी हुए थे। पिछले चुनाव में वहां की जनता सत्यनारायन को भगवान का दर्जा देकर जिस तरीके से नगरपंचायत की कुर्सी सौंपी थी। सत्यनारायन गुप्ता उतना ही अपने वोटरों के लिए लूटेरा, घोटालेबाज और कफन चोर तक निकला। ये बाते जंगीपुर नगर पंचायत की आम जनता ने कही।
जहां से बहुजन समाज पार्टी के टिकट से सत्यनारायन गुप्ता विजयी हुए थे। पिछले चुनाव में वहां की जनता सत्यनारायन को भगवान का दर्जा देकर जिस तरीके से नगरपंचायत की कुर्सी सौंपी थी। सत्यनारायन गुप्ता उतना ही अपने वोटरों के लिए लूटेरा, घोटालेबाज और कफन चोर तक निकला। ये बाते जंगीपुर नगर पंचायत की आम जनता ने कही।
उनके पांच साल के कार्यकाल की लेखाजोखा को कसौटी पर देखा जाए तो, एक दो नहीं बल्कि दर्जनों मामले में विकास के नाम पर करोड़ नहीं बल्कि करोड़ों का वारा न्यारा कर चुके हैं। जंगीपुर नगरपंचायत में राम जानकी पोखरा जो ऐतिहासिक है उसको किसी बनिया वर्ग ने दान कर लोगों को सुपुर्द किया था। वहां पर इन्होंने मैरेज हॉल और सौन्दर्यीकरण के नाम पर एक करोड़ 95 लाख की लागत से पोखरे की रकम को कम करते हुए कमीशन वाली मिट्टी डाल दिया और उस पोखरे को अपनी आंखों से देखिए तो पोखरा खुबसूरत हुआ है या फिर बदसूरत। क्योंकि जहां करोड़ों रूपए पानी की तरह बहाया जाए तो उसकी सूरत कुछ ऐसी होगी की हर किसी के जुबान पर उसकी तारीफ के अलावा कुछ नहीं सुनने को मिलेगा। लेकिन यहां तो हर कोई चेयरमैन के इन कारनामों को ही बयां कर रहा है।
इतना ही नहीं नगर में उजाले के लिए लगी स्ट्रीट लाइटे जिनकी कीमत हजारों में होगी। उसे लाखों में खरीददारी दिखाकर करीब 10 करोड़ की लागत से नगर पंचायत में उजाला तो कर दिया। लेकिन उसकी 60 फीसदी कमीशन से खुद माला माल हो गए। इतना होता तो ठीक था लेकिन इन्होंने तो उन लाइटों पर नगरपंचायत जंगीपुर के बजाए सौजन्य से खुद का नाम सत्यनारायन गुप्ता लिखवा डाला। जैसे कि यह धन उनके बाप दादा का रहा हो। इन्होंने तो मंदिर जो चंदे की रकम से बनी है। उसपर भी ये अपना हक जताते हुए रातों रात अपने कार्यों के नाम का शिलापट्ट लगाने से भी नहीं चुके है। इन्होंने अपने नगर क्षेत्र में गरीब बेटियों के शादी के नाम पर फर्जी हस्ताक्षर कर शादी अनुदान और गरीबों की मौत पर उन पीड़ीतों को दाहसंस्कार के नाम पर कफन तक का पैसा लूट लिया। इतना सब करने के बाद भी जिस पार्टी यानी बसपा के बैनर तले नगरपंचायत चेयरमैन की कुर्सी तक पहुंचे थे। उससे भी दगा किया, अपने मतलब के लिए कभी साईकिल का झंड़ा ढोया तो कभी हाथी का। इन्ही सब कारनामों को देखते हुए बीएसपी ने इस बार हाथी के पुंछ के सहारे नीचे उतार पैदल कर दिया। जब ये कुर्सी संभाली थी। तब कर्मचारियों के वेतन के ऐरियर के नाम पर करीब दो करोड़ रूपए आए थे। इस रकम में भी ट्रेजरी से इसका भुगतान करा अध्यक्ष, ईओ, कैशियर व अन्य मिलकर कर्मचारियों के ऐरियर का बंदरबांट किया। किसी को ऐरियर 75 फीसदी भुगतान किया तो किसी को एक रूपए तक नसीब नहीं हुआ। जबकि सभी कर्मचारी अपने ऐरियर बनवाने के लिए प्रति कर्मचारी 10 हजार रूपया भी दिए थे। निवर्तमान चेयरमैन कितने इमानदार है। इस बात की सत्यता इस एफआईआर की कापी से पता चलता है जिसमें नगरपंचायत की लोहे की पाइप जिन्हे नीलाम करना चाहिए था। उसे दिनदहाड़े वाहन पर रख बेचने जाते समय रंगेहाथों पकड़े जाने पर मुकदमा दर्ज हुआ था।