scriptमास्टर साहब, हमें खाना दो गाली मत दो | Childrens abused for mid day meal food in ghazipur | Patrika News

मास्टर साहब, हमें खाना दो गाली मत दो

locationगाजीपुरPublished: Sep 15, 2016 11:06:00 am

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बच्चों ने बताया कि उन्हें इतना कम खाना मिल रहा है कि उनका पेट भी नहीं भरता, दोबारा मांगने पर पड़ती है गालियां

childrens abused for mid day meal food

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गाजीपुर. सरकार मिड-डे मील योजना के तहत लाखों-करोड़ों रूपये खर्च करती है, ताकि गरीब बच्चों को पढ़ाई के साथ पौष्टिक भोजन भी मिल सके। लेकिन बच्चों द्वारा दोबारा भोजन मांगने पर उन्हें भोजन के बदले गालियां खाने को मिलती हैं। मतलब एक बार भोजन मिलने के बाद अगर बच्चों की भूखे न मिटे, तो बच्चों को चुप रहना होगा, नहीं तो बदले में मिलेंगी गालियां। मीड डे मील के संबंध में बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि स्कूलों में मिड डे मील वाला खाना बन तो रहा है, लेकिन बच्चों के हक के मुताबिक नहीं बन रहा है। उन्होंने बताया कि स्कूलों में बच्चों को कम खाना, पानी दार दूध, साफ-सफाई का कोई ध्यान नहीं है और ऊपर से खाना भी भर पेट नहीं मिलता है।


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जिले में सरकारी प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में शिक्षा का स्तर मोटी तनख्वाह वाले शिक्षकों के अनुपात में काफी जर्जर है, जिसकी एक बानगी हमे जनपद के तमाम क्षेत्रों में देखने को मिली। सदर तहसील क्षेत्र में पूर्वोत्तर रेलवे परिसर, फतेहपुर सिकंदर, बकुलियापुर और मिश्रवलिया प्राइमरी पाठशाला, जहां खाकी वर्दी और टाई लगाये बच्चे प्राइमरी और मिडिल स्कूलो में पढ़ाई के लिए आते हैं। सरकारी नियम के अनुसार, इन्हें प्रतिदिन मीनू के हिसाब से खाना दिया जाता है। कई जगह तो स्कूलों में खाना लकड़ी के चूल्हों पर बनता दिखा और कहीं बच्चे खाते भी दिखे बुधवार के दिन बच्चों को दूध और तहरी दिया जाना था।



लेकिन बकुलिया पुर प्राइमरी स्कूल की छात्रों ने दूध पतला मिलने की शिकायत की। बच्चों केे खाने के समस्या के साथ-साथ स्कूल में साफ सफाई का न होना सबसे बड़ी समस्या है। बता दें कि स्कूलों में जलजमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप मलेरिया और डेंगू जैसे रोगों को दावत देता हुआ प्रतीत होता है। कुछ स्कूलों में बच्चों का खाना बनता दिखा, लेकिन लकड़ी के चूल्हों से निकलने वाला धुएं सरकार के उज्जवाल योजना को मुंह चिढ़ाते हुए भी दिखे।



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सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार जहां लाखों करोड़ों रुपये प्रतिदिन खर्च कर रही है और बच्चों की अच्छी शिक्षा के साथ अच्छी सेहत के लिहाज से पौष्टिक भोजन देने की कवायद कर रही है। वहीं सर्वशिक्षा अभियान से जुड़े लोग व कर्मचारी इस अभियान से अपनी जेबे भरने पर लगे हुए है।गाजीपुर में प्रथमिक पाठशालाओं या शिक्षा विभाग के ज्यादातर कर्मचारी अपने बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाना पसंद करते है। रह गई बात गुणवत्ता की कमी वाले मिड डे मील, गंदे माहौल और पानी भरे स्कूली बच्चों की तो वे कभी भी अस्पताल तक जरूर पंहुचा सकते हैं। क्योंकि स्कूलों में कभी साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता।
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