बताया जाता है कि एक स्थानीय भाजपा नेता खुद ठेकेदार बन गया। ग्राम पंचायत अधिकारी और बैंक मैनेजर ने मिलकर इसने गरीबों की राशि में हेरफेर किया। पीडि़त मुसहर परिवारों ने इसकी थाने में लिखित शिकायत की। जांच हुई लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही है। इस संबंध में ठेकेदार का कहना है कि मुसहर अपने आवास की राशि कहीं शराब पीने में न खर्च कर दें इसलिए खुद से आवास बनवाने का काम शुरू किया। अधूरे बने आवास जल्द ही बनवा दिए जाएंगे। इस मामले में जब मुख्य विकास अधिकारी श्री प्रकाश गुप्ता से बात की गयी तो वह आवाक रह गए। क्योंकि, इन आवासों का निर्माण लाभार्थी को खुद करवाना था। मामला उजागर होने के बाद सीडीओ ने जांच के लिए करंडा के बीडीओ को पत्र लिखते हुए 3 दिनों के अंदर जवाब मांगा है।
By Alok Tripathi