गाजीपुर जिले में एटीएम के क्या हालात हैं और बैंकों से कितना कैश मिल रहा है पत्रिका ने खुद मौके पर जाकर इसकी पड़ताल की। यहां ज्यादातर एटीएम खाली ही पड़े हैं। एटीएम पर नो कैश की तख्तियां लटक रही हैं। शहरी इलाकों में तो नो कैश की स्थिति दिखी, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कमोबेश ऐसे ही हालात दिखे। जिले भर जिन गिने-चुने एटीएम में रुपये हैं भी वहां कतारें लंबी-लंबी हैं। बैंकों में भी पैसा जमा करने से ज्यादा निकालने वालों की कतार है। एटीएम के बाहर कतार में लगे लोगों से बात करने पर उनका गुस्सा और उनकी बेचारगी साफ झलक रही थी। किसी को बच्चों का स्कूल में एडमिशन कराना है तो किसी के घर में शादी पड़ी है। पूछने पर पता चला कि कई लोग तो सुबह से कतार में लगे हुए थे। गाजीपुर में सभी बैंकों की मिलाकर 250 शाखाएं हैं, जबकि एटीएम 100 से अधिक हैं। बैंकों को बाजार के अढ़तियों का ही सहारा है। उनकी ओर से जमा किये गए रुपयों का ही रोटेशन बैंक कर रहे हैं।
एटीएम के बाहर लाइन में लगे अभय ने बताया कि सुबह से घूम रहे हैं। जिन गिने-चुने एटीएम में रुपये हैं भी तो वहां लम्बी-लम्बी कतार लगी है। बैंक के बाहर भी आउट ऑफ कैश की तख्ती लटक रही है। पूछने पर बताया जा रहा है कि आरबीआई से पैसे नहीं आ रहे।
पम्मी सिंह ने बताया कि सुबह से पांच-छह एटीएम का चक्कर लगा चुकी हूं। एक में भी पैसा नहीं मिला। मेन ब्रांच गाजीपुर में भी गयी तो वहां भी वही स्थिति मिली। हर जगह लिख रखा है नो कैश, मशीन इस नॉट वर्किंग, एटीएम इस नॉट वर्किंग। पब्लिक तो इस गर्मी में प्रताड़ित हो रही है।
एक व्यक्ति ने बताया कि घर में बहन की लड़की की शादी है। आठ से ज्यादा एटीएम देख चुका हूं कहीं पैसे नहीं मिले। कतार में लगे एक युवक ने बताया कि रुपयों के लिये एडमिशन रुका है। कई जगह गए पर पैसा नहीं मिला। एक युवक बोला कि पिछले दो-तीन दिनों से कतार में लग रहा हूं।
एटीएम के गार्ड मुनाजिर ने बताया कि अभी कैश नहीं है। पब्लिक आ रही है तो गुस्सा हम पर निकाल रही है। कई बार तो हमें गाली सुनना पड़ रहा है। हमारी ड्यूटी है सो खड़े होकर सुनते रहते हैं।
लीडिंग बैंक मैनेजर (जिले के अग्रणि बैंक प्रबंधक) मिथिलेश से जब इस बारे में बात की गयी तो उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीने से करेंसी सिस्टम में कैश का फ्लो काफी कम है। पिछले एक से डेढ़ महीने पहले करीब आठ करोड़ रुपये आये हैं। आरबीआई से बात हुई तो उधर से जवाब आया है कि अभी 15 दिनों के बाद ही कुछ स्थिति सुधरेगी। अभी जंगीपुर, मुहम्मदाबार और गाजीपुर की रिसीविंग ब्रांच है। वहां से जमा होने वाले कैश से ही हम काम चला रहे हैं। कहा कि बैंक चाहते हैं कि कैश के बदले लोग अल्टरनेट चैनल अपनाएं, पर यहां लोग कैश लेन-देन को ही प्राथमिकता देते हैं। इसी के चलते समस्या है।
by Alok Tripathi