बतादें कि त्रिवेणी राम 2005 से 2010 तक मुहम्मदाबाद ब्लाक के करमचंदपुर ग्राम सभा के प्रधान रहे। इस दौरान ये गांव अम्बेडकर ग्राम सभा के अंतर्गत चयनित किया गया था। इन पांच सालों में गांव के विकास के लिए शासन ने लाखों रूपये भेजे। गांव के विकास के कई काम भी कराये गये। लेकिन इसी बीच गांव के रहने वाले राजीव रंजन ने विकास कार्यों में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया। उन्होने तत्कालीन जिलाधिकारी रितू माहेश्वरी से मुलाकात कर सरकारी धन में लाखों का घपला करने आरोप प्रधान त्रिवेणी राम और सचिव लालजी राम लगा दिया।
डीएम ने संबन्धित अधिकारियों भेजा तो मामला संदिग्ध मिला। जिसके बाद उन्होन प्रधान और सचिव लाल को निलंबित कर दिया। लेकिन शिकायतकर्ता को उस समय हैरानी हुई। जब दोनों के द्ववारा खाये गये पैसे की कोई रिकवरी नहीं हुई। तीन साल तक जिलाधिकारी तो बदलते रहे लेकिन इस गांव का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इसी बीच 2014 में चंद्रपाल सिंह को जिले की कमान मिली। उन्होने फाइल देखा और एक बार फिर तकनीकी जांच कराई। कमेटी ने डीएम को जो रिपोर्ट सौंपी उसमें 566588 लाख रूपये के घपले की बात सामने आई। डीएम ने दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश देते हुए प्रधान के वित्तीय खाते को सीज कर दिया।
लेकिन शिकायतकर्ता इतनी कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने 2015 में हाईकार्ट में याचिका दायर कर दिया। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एक बार फिर जांच का आदेश दिया। डीएम द्वारा कराई गई दोबारा जांच में 14 लाख रूपये के घोटाले की बात कोर्ट को बताई गई। न्यायालय ने ग्राम प्रधान और सचिव को दोषी पाते हुए दोनों से सात-सात रूपये की रिकवरी का आदेश दे दिया। कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को जिलाधिकारी ने सोमवार को दोनों से रिकवरी की नोटिस जारी कर सरकारी पैसे कोष में जमा करने को कहा है। साथ ही डीएम ने कहा कि दोनों के खिलाफ न्यायोचित कार्रवाई की जाएगी।