scriptगाजीपुर में गरज रही किसानों की बंदूक, खेतों से आवारा पशु ऐसे भगा रहे किसान | Farmers Make Smart Gun for Remove Stray Catteles from Fields | Patrika News

गाजीपुर में गरज रही किसानों की बंदूक, खेतों से आवारा पशु ऐसे भगा रहे किसान

locationगाजीपुरPublished: Sep 23, 2020 08:47:46 pm

यूपी के गाजीपुर में आवारा पशुओं और मवेशियों से परेशान किसानों ने निकाला इनसे छुटकारा पाने का उपाय।
कहीं नहीं हुई सुनवायी तो किसानों ने खुद आवारा पशुओं से खेतों के बचाने के लिये बनायी तोप जैसी बंदूक।
किसानों की बनाई तोप जैसी अनोखी बंदूक की तेज आवाज एक किलोमीटर दूर तक सुनायी देती है।

stray_cattle_gun.jpg

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

गाजीपुर. कहते हैं की आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। इसका जीता जागता उदाहरण गाजीपुर जिले में देखने को मिल रहा है। आवारा पशुओं और नीलगाय के आतंक से परेशान परेशान किसानों ने एक ऐसी तोप जैसी बंदूक बनायी है, जिसे रखने और फायर करने के लिये किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं और इससे किसी की जान भी नहीं जाती। पर इसकी आवाज इतनी जबरदस्त हे कि आवारा पशु इससे कोसों दूर भागते हैं। किसान नौजवानों ने महज 300 रुपये की चौंकाने वाली कीमत में इस देसी तोप को बना डाला है। यही नहीं इसमें एक फायरिंग का खचर् महज दो रुपये आता है। खेतों की रखवाली से परेशान किसानों का कहना है कि उन्हें यह तोप नहीं मिली बल्कि चैन सुकून की नींद लेने की आजादी मिल गई है।

 

 

https://youtu.be/5iTi8Ctqt48

 

खानपुर क्षेत्र के फरीदहा में किसानों ने अपने खेतों से पशुओं को भगाने के लिये तोप जैसी बंदूक बनायी है। इससे किया गया फायर एक किलोमीटर दूर तक पशुओं को खेतों से दूर रखता है। रात के सन्नाटे में इसकी आवाज की क्षमता और अधिक बढ़ जाती है। आशुतोष सिंह कहते है कि मात्र तीन सौ रुपये की लागत से सस्ती गन बनाकर किसान अपने खेतों की रखवाली कर सकते है। इसे चलाने के लिए मटर के दाने बराबर कार्बाइड के टुकड़े को एक ढक्कन पानी की आवश्यकता है। गनमशीन के माध्यम से किसान खेतों से दूर बैठकर भी जानवरों को भगा रहे है। गाज़ीपुर सहित चंदौली आजमगढ़ और जौनपुर से आकर किसान इस गन की मांग कर रहे है और बनाने की विधि सीख रहे है।

 

उन्होंने बताया कि इस गन को बनाने के लिए घरो में पानी की निकासी वाले पाइप और गैस जलाने वाले लाइटर की सहायता से आसानी से बनाया जा सकता है। और इस गन के फायर से आवाज़ असली बंदूक से भी कही अधिक होती है। जिसकी आवाज़ सुनने के बाद अब उनके गांव के खेतों से जानवर कोसो दूर भाग जा रहे है। उन्होंने बताया कि अब उनके गांव के किसान अपने खेतों में शाम को सूरज डूबने के बाद चार से पांच फायर करते है। और फिर उन्हें पूरी रात उन जानवरो से खेत की रखवाली करने की जरूरत नही पड़ती। उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि इस साल दीपावली में उनके गांव के युवा पटाखे की बजाय इसी गन का प्रयोग करने की बात कह रहे है।

By Alok Tripathi

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो