इरशाद ने बताया कि जल्द ही उसने फोन-पे का इस्तेमाल करना शुरू किया है। क्योंकि लोग आते थे और छुट्टे पैसे न होने की बात कहकर मन होते हुए भुट्टे नहीं खरीद पाते थे। अब करीब 30-40 फीसदी ग्राहक फोन-पे से पैसे देते हैं। गौरतलब है कि कोरोना महामारी के चलते देश-प्रदेश के अलग-अलग शहरों में काम करने वाले युवा अब गांवों में आकर बस गये हैं और यहीं पर काम-धंधा शुरू कर दिया है। शहरों जैसी उनकी लाइफ स्टाइल है और पेमेंट के लिए फोन-पे, पेटीएम और गूगल-पे का इस्तेमाल करते हैं। यही कारण है कि धीरे-धीरे अब गांवों में पेमेंट के लिए नये विकल्पों का चलन शुरू हो गया है।